For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टुकड़ों में बटा आदमी - डॉo विजय शंकर

टुकड़ों में बटा आदमी 

टुकड़ों की बात करता है , 

टुकड़ों को छोटे , और छोटे 

टुकड़ों में तोड़ने की बात करता है।  

टुकड़ों से अलग अलग बात करता है , 

आज इसकी कल उसकी बात करता है 

पर टुकड़ों को जोड़ने से डरता है 

और टुकड़ों के खुद जुड़ने से भी डरता है। 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 14, 2018 at 12:35am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद, सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2018 at 8:44am

आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिवादन। बढिया भाव सम्प्रेषण के लिए बधाई निवेदित है।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 11, 2018 at 6:04pm

आदरणीय डाo छोटे लाल जी ,आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 11, 2018 at 6:01pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी , हार्दिक आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 5:57pm

वाह डॉ साहब बहुत ही यथार्थ परक जीवंत पंक्तियाँ बधाई कुबूल कीजिए

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:36am

अच्छी सारगर्भित कविता..

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 11, 2018 at 4:17am

आदरणीय अजय तिवारी जी , हार्दिक आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Ajay Tiwari on October 10, 2018 at 5:41pm

आदरणीय विजय जी, बहुत अच्छी कविता हुई है. हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 10, 2018 at 8:26am

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपकी सद्भवनाओं से परिपूर्ण विवेचना के लिए ह्रदय से आभार एवं बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 10, 2018 at 8:20am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी ,आपकी सद्भवनाओं के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service