For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने जितने कंटक बोये, इस जीवन में चुनने हैं (गीत 'राज')

गीत

धरती अम्बर पर्वत नदियाँ,सबके ताने सुनने हैं

हमने जितने कंटक बोये, इस जीवन में चुनने हैं

सर्दी गर्मी की मार सही

या बिन मौसम बरसात सही

चंदा तारों से जगमग हों

या काली नीरव रात सही 

हमको तो अभिलाषाओं के,ताने बाने बुनने हैं

हमने जितने कंटक बोये,इस जीवन में चुनने हैं

इक मजहब की दीवार मिले  

या वर्ण वर्ग की रार मिले  

तेरे मेरे  की खाई हो

या द्वेष जलन का हार मिले

हमको तो रिश्तों के मानक ,खामोशी से गुनने हैं

हमने जितने कंटक बोये,इस जीवन में चुनने हैं

पाप औ पुण्य के तीर चलें    

या आतंकी शमशीर चलें 

झूठे वादे झूठे नेता

या पोंगा पंडित पीर चलें

हमको तो सच की थापी से,छल के गठ्ठर धुनने हैं

हमने जितने कंटक बोये,इस जीवन में चुनने हैं

 हम मंजिल से अनजान सही

 मुश्किल में अपनी जान सही

ऊँची उफनाती  लहरे हों

भीतर भीतर तूफ़ान सही

हमको तो सागर के उर से ,सच्चे मोती चुनने हैं

हमको तो अभिलाषाओं के,ताने बाने बुनने हैं

--------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 791

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 10:41am

मोहतरम जनाब तस्दीक जी ,आपका तहे  दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 10:40am

आद० अजय तिवारी जी ,आपका  बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 10:39am

आद० सुरेन्द्रनाथ भैया ,आपको गीत पसंद आया बहुत बहुत शुक्रिया मेरा लिखना सार्थक हुआ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 10:19am

आद० समर भाई जी आदाब ,गीत पर आपकी दाद मिली तथा कुछ सुझाव भी जिनका दिल से स्वागत है मूल पोस्ट में सुधार कर चुकी हूँ 

आपका बहुत बहुत शुक्रिया .सदैव आपका इसी तरह मार्ग दर्शन मिलता रहे .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 6, 2017 at 9:00pm

आद० उस्मानी जी ,आपको गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2017 at 7:39pm

मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा , सुन्दर गीत हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Ajay Tiwari on December 4, 2017 at 3:59pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी,

इस खूबसूरत गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाईयाँ.

सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2017 at 3:41pm
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, बहुत उम्दा और बेहतरीन गीत लिखा है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार कीजिये।आद0 समर साहब की बातों से सहमत हूँ। सादर
Comment by Samar kabeer on December 3, 2017 at 12:37pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा और सार्थक गीत लिखा है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा :-

'या तारों की बारात सही'
इस पंक्ति से ये ज़ाहिर होता है कि 'तारों की बारात'कोई कष्ट दायक चीज़ है,'सही'शब्द तो इसी के लिए प्रयोग होता है न?

'या आतंकी शमशीर चलें'
इस पंक्ति में 'शमशीर'एक वचन है और 'चलें'शब्द बहुवचन के लिए प्रयोग होता है,देखियेगा ।
कुछ शब्दों में अनुस्वार लगने थे जो नहीं लगे,देखियेगा ।
Comment by Mohammed Arif on December 3, 2017 at 7:36am
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,
बहुत ही सुंदर गीत की पेशकश । हृदय को छू गया । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
11 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service