For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घरोंदों को जलाया है किसी ने दोस्ती करके

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

घरोंदों को जलाया है किसी ने दोस्ती करके 

चिरागों को बुझाया है किसी ने दोस्ती करके 

सुकूं था जिसके जीवन में जिसे आती थी मीठी नींद 

उसे शब् भर जगाया है किसी ने दोस्ती करके 

जो दुश्मन था जमाने से जो प्यासा था लहू का ही 

उसी को अब बचाया है किसी ने दोस्ती करके 

अँधेरे में मेरा साया हुआ कुछ इस तरह से गुम

ज्यूँ रिश्ता हर भुलाया है किसी ने दोस्ती करके 

फकीरों की तरह जीता, था खुश तन्हाई से अपनी 

मगर तिल तिल मिटाया है किसी ने दोस्ती करके 

तेरे पहलू में आया हूँ लगा साकी गले मुझको 

बड़ा ही जुल्म ढाया है किसी ने दोस्ती करके 

जमीं के एक टुकड़े को खड़ी सेनायें सरहद पर 

लहू हरदम बहाया है किसी ने दोस्ती करके 

थी हर उम्मीद जब टूटी न दुनिया रास आई थी 

तभी आशू हंसाया है किसी ने दोस्ती करके 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 12, 2017 at 3:09pm
आदरणीय गुरुप्रीत सिंह जी आदरणीय तेजवीर सिंह जी रचना को आपका स्नेह मिला मैं ह्रदय से आभारी हूँ सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on September 11, 2017 at 5:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष जी।बेहतरीन गज़ल।

Comment by Gurpreet Singh jammu on September 11, 2017 at 12:56pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी,,
तेरे पहलू में आया हूँ लगा साकी गले मुझको
बड़ा ही जुल्म ढाया है किसी ने दोस्ती करके
यह शेयर बहुत अच्छा लगा

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 10, 2017 at 9:52pm
आदरणीय समर सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से बड़ा हौसला मिलता है आदरणीय सर दुसरे शेर में उला मिसरे पर फिर ध्यान दूंगा सादर प्रणाम के साठ
Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 9:11pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे की बह्र एक बार जाँच लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service