For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भीगी सी रुत आई ....//डॉ० प्राची

भीगी सी रुत आई

भीगा सावन भीगी पलकें भीगी सी रुत आई
मन के पन्नों से यादों की मिटती नहीं लिखाई

पहली बारिश में तेरे संग बेसुध हो इतराना
बूँदों के मोती छिटकाना छिटका कर शरमाना
पक्के रस्ते छोड़छाड़ खुद जाना पगडण्डी से
तर हो कर बारिश में छप-छप पानी भी छपकाना

उन भीगी शामों में गर्म चाय की फिर गरमाई
मन के पन्नों से....

रात-रात भर जाग-जाग कर वो मेहंदी रचवाना
हर नन्हें-नन्हें बूटे में तेरा प्यार सजाना
मेहंदी रची हथेली पर सखियों से नज़र बचाकर
चुपके से फिर अक्षर-अक्षर तेरा नाम छिपाना

मेहंदी के सौंधेपन ने फिर साँस-साँस महकाई
मन के पन्नों से....

आँगन में इक बड़े नीम की डाली झुकी-झुकी सी
उसपर झूला साथ झूलकर धड़कन रुकी-रुकी सी
पींग बड़ा कर, कर अठखेली तूने बहुत सताया
थम जाने की मनुहारें कर मैं थक-हार चुकी सी

याद बहुत आती है अब वो मीठी सी रुसवाई
मन के पन्नों से....

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 31, 2017 at 8:14pm

सुंदर और सरस गीत के लिए हार्दिक बधाई आ डॉ प्राची जी |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 31, 2017 at 8:11pm
सुन्दर और सरस गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया..
Comment by Samar kabeer on July 28, 2017 at 11:09pm
जी,मैं समझ गया,फिर भी फ़ुर्सत मिलते ही इधर झांक लिया करे ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 28, 2017 at 10:48pm

सावन गीत का यह प्रयास आपको पसंद आया और आपका आशीष मिला , आभारी हूँ आ० समर कबीर जी 

सभी सुझाव ससम्मान स्वीकार्य आदरणीय 

मंच पर सक्रिय न हो पाने का मुझे बहुत खेद है पर नन्हे आद्विक को लेकर निश्चित समय दे सकना संभव नहीं हो पा रहा , साथ ही मेरे लेक्चरस, और फैक्ट्री टेंडर्स उलझाए रखते हैं.... अभी मुझे थोडा समय और लगने वाला है तभी सक्रियता के प्रति आश्वस्त कर सकूंगी .

गीत लिखे बिना रहा नहीं जाता , और जब भी गीत हो तो आदतन सिर्फ अपने ओबीओ पर ही उन्हें पोस्ट करने की निजी प्रतिबद्धता तुरंत यहाँ ले आती है. फिर भी मंच पर यथा संभव सक्रिय बने रहने की कोशिश करूंगी.

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 28, 2017 at 10:41pm

गीत की सराहना कर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद आ० रवि शुक्ला जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 27, 2017 at 4:38pm

आदरणीया प्राची जी हमेशा की तरह शानदार इस गीत पर ढेर सारी बधाई स्वीकार करें ...आदरणीय समर सर के अनुरूप पटल पर मैं आपकी सक्रियता का निवेदन कर रहा हूँ इस मंच पर गीत बिधा पर आपकी सशक्त रचनाओं के रसास्वादन की कामना के साथ ..

Comment by Samar kabeer on July 26, 2017 at 3:35pm
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह साहिबा आदाब,सावन की रुत पर गीत का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'उन भीगी शामों में गर्म चाय की फिर गरमाई'
ये पंक्ति लय में नहीं है,देखियेगा ।

'रात रात भर जाग जाग कर वो मेहंदी रचवाना'
इस पंक्ति में 'रचवाना'की जगह 'लगवाना'ज़ियादा बहतर होगा,क्योंकि मेंहदी लगवाने के बाद रचती है ।
आख़री बंद की तीसरी पंक्ति में 'पींग बड़ा कर'को "पींग बढ़ा कर"कर लीजियेग ।
अंत में एक बार फिर ये निवेदन करूँगा कि कृपया पटल पर अपनी सक्रियता बनाये रखें ।
Comment by Ravi Shukla on July 26, 2017 at 1:30pm

आदरणीया प्राची जी  बहुत सुन्‍दर गीत लिखा आपने भीगी रुत को साकार करते गीत के लिये हार्दिक बधाई स्‍वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
4 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service