For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हार में भी जीत-पहला प्रयास लघु कथा

अपने जीवन की पहली लघु कथा लिखने के बाद बार बार
उसे पढ़कर प्रकाशित करने की मनःस्थिति बना ही रहा था तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।" आओ -मित्र ! आओ "दरवाजा खोलते ही मैंने अपने मित्र आलोक से कहा।"आज कौन सी कविता ऑनलाइन प्रकाशित कर रहे हो"आलोक ने हमेशा की तरह पूंछा।"आज मैंने पहली लघु कथा लिखी है उसे ही प्रकाशित करने जा रहा हूँ"कंप्यूटर पर टाइप करते हुए मैंने जबाब दिया।" लेकिन-पहले प्रयास को सीधे प्रकाशित करते तुम्हे अजीब सा नहीं लग रहा है-"रचना के ठीक होने पर मिलने वाली संतोष जनक प्रतिक्रियाओ से हासिल सुखद अनुभव और परिमार्जित न होने पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओ से होने वाले दुखद अनुभव को ध्यान में रखकर अपने संशय को व्यक्त करते हुए आलोक बोला।"रचना अच्छी हो या बुरी - उस पर होने वाली प्रतिक्रियाओं से सदा सुखद अहसास ही होता है,दुखद नहीं।आलोक के प्रश्न के प्रत्यत्तर नें मैंने कहा "मैं कुछ समझा नहीं -ऐसा-कैसे"आलोक ने आश्चर्य चकित होते हुए पुनः प्रश्न किया।"हां , आलोक इसकी बजह सिर्फ यह है की जिस मंच पर मैं रचना प्रकाशित करने जा रहा हूँ - उस मंच पर रचना को अच्छा देखकर मुस्कुराने और ख़राब महसूस कर मुंह बनाने जी जगह रचना क्यों अच्छी है और ख़राब है तो क्यों ख़राब है , बताने पर तरजीह दी जाती है और जानते हो यहाँ सिद्ध हस्त और मुझ जैसे नौसिखिये एक ही घाट पर पानी पीते है- रचना अच्छी क्यों है जानकर सोच को नए पंख और ख़राब क्यों है जानकार तमाम सीखने वालों को सबक और दिशा मिलती है" मैंने सुखद अनुभूति वाली अपनी बात को ज्यादा प्रभावशाली और स्पष्ट करते हुए कहा।"कहाँ खो गए आलोक" रचना को पोस्ट करते हुए मैंने कहा।"क्या वाकई ऐसा अद्भुत मंच है" होम पेज पर बड़े बड़े शब्दों में अंकित ओ बी ओ को बड़े कौतूहल से देखकर कुछ सोचते हुए आलोक ने कहा।"हां!हाँ वाकई ये हकीकत है" ऐसे मंच से जुड़े होंने के सुखद अहसास की अनुभूति करते हुए मैंने जवाब दिया।
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 910

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 17, 2017 at 11:49pm
आदरणीय गोपाल सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए आशीर्वाद है सादर प्रणाम के साथ
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 17, 2017 at 11:47pm
आदरणीया राजेशजी आपकी प्रतिक्रिया दे दूसरी लघु कथा लिखने की चाहत को नव ऊर्जा मिली है बिचार तो कई बार उठते है पर उसे लघु कथा के रूप में तब्दील कर पाना संभव नहीं हो पाया आपकी शेख जी आदरणीय योगराज सर की रचनाओं को सतत पढ़कर इस बिध को समझने की कोशिश कर रहा हूँ प्रयास करूंगा कोई कमी हैगी तो आप लोगों से मार्गदर्शन मिलेगा ही सादर प्रणाम के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 17, 2017 at 9:07pm

वाह्ह्ह्ह लग नहीं रहा है की आपका ये पहला प्रयास है लघु कथा पर आपसे संभावनाएं अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं अब आद० डॉ० आशुतोष जी ओबीओ के प्रति मन के भावों को प्रकट करने के लिए लघु कथा का बेहतरीन माध्यम चुना है आपने ओबीओ परिवार के सदस्य होने के नाते हम सभी रचनाकारों को मुग्ध कर दिया आपने बस अब लघु कथाओं पर काम शुरू कर दीजिये इस बार के आयोजन में आपकी लघु कथा देखना चाहूँगी .इस लघु कथा के लिए दिल से बधाई लीजिये .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 15, 2017 at 7:56pm

आ० आशुतोष जी , आपने इस कथा के माध्यम से ओ बी ओ के मुख्य प्रतिपाद्य को  बहुत अच्छी तरह प्रकट किया  और चूंकि आपका यह प्रयास पहला है तो फिर और कुछ कहने की आवश्यकता  नहीं रह जाती . आपका यह पथ भी प्शस्त  हो . सादर .

Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2017 at 12:54pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।ओ बी ओ के संदर्भ में आपने एक लघुकथा के रूप में जो विचार प्रकट किये, वह निश्चित रूप से एक सराहनीय और प्रशंसनीय कार्य है।इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कोई लाग लपेट नहीं है, जो कुछ भी लिखा है वह शत प्रतिशत सत्य है।यह एक गौरवशाली और निष्पक्ष मंच है।यहाँ की मुख्य विशेषता यही है कि नये प्रवेशार्थियों/नवांकुरों को  अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे कि वे भविष्य में मज़बूती से अपने क़दम आगे बढ़ा सकें।लघुकथा लेखन में आपका स्वागत है।ओ बी ओ के सभी लघुकथाकारों की ओर से आपको शुभ कामनायें।सादर।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 10:53pm
आदरणीय गंगाधर जी रचना पर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 10:51pm
आदरणीय विजय सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 10:50pm
आदरणीया राहिला जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के किये हार्दिक धन्यवाद सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 10:49pm
आदरणीय शेख जी रचना पर आपकी उत्साबर्धक और बिस्तृत प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद लघु कथा के बारे में आदरणीय योगराज सर के लेखों और आपकी रचनाओं के नियमित पाठन से लघु कथा के आरती रुझान पैदा हुआ अब और कोशिश करूंगा सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 10:49pm
आदरणीय शेख जी रचना पर आपकी उत्साबर्धक और बिस्तृत प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद लघु कथा के बारे में आदरणीय योगराज सर के लेखों और आपकी रचनाओं के नियमित पाठन से लघु कथा के आरती रुझान पैदा हुआ अब और कोशिश करूंगा सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service