For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी-2122 2122 212
एक दीपक उस जगह पर भी जले।
जिस जगह वे वीर सैनिक हैं पले।
शान से वो जो लड़े अंतिम साँस तक,
देश खातिर छोड़ दुनिया को चले।
--------
सर नवा कर के नमन कर जोड़ कर।
जो चलें रिश्ते सभी अब तोड़ कर।
याद थी तो देश की बस आन की,
मर मिटें दुश्मन की छाती फोड़कर।
---------
वीर थें जो धुन के पक्के बड़े।
आँधियों में भी अटल सीमा खड़े।
राह थी उनकी कठिन चलते रहें,
आज माटी के लिए माटी पड़े।
---------
प्राण त्यागे वे, रहें हम चैन से
परिजनों संतावना दूँ बैन से।
वे जलें फौलाद होकर भी सदा,
है श्रधांजलि अश्रुपूरित नैन से।
----------
अप्रकाशित एवं मौलिक रचना,
सुनील प्रसाद शाहाबादी
आरा अमराई नवादा, (बिहार)

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2016 at 12:43pm

आद० सुनील प्रसाद जी ,बहुत खूब सुंदर मुक्तक लिखे हैं हार्दिक बधाई |आद० रामबली जी के मशविरे पर गौर करें बस कहीं कहीं थोड़ा सा सुधार अपेक्षित है जो आपके लिए कोई मुश्किल काम नहीं है सादर |

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 3, 2016 at 11:14pm

आदरणीय सुनील प्रसाद जी सादर, सुंदर मुक्तक रचे हैं आपने. यह अवश्य है कुछ जगह मापनी गडबड़ाई है. सादर.

Comment by Samar kabeer on November 1, 2016 at 5:49pm
जनाब सनील प्रसाद जी आदाब,मुक्तक का प्रयास अच्छा है,बधाई इसके लिये, में जनाब रामबली गुप्ता जी से सहमत हूँ ।
Comment by रामबली गुप्ता on November 1, 2016 at 6:52am
अव्वल तो सुंदर भावों के लिए बधाई स्वीकार करें आद0 भाई सुनील प्रसाद जी। शिल्प की बात करें तो कई स्थानों पर लय भंग और बेबहर मिला।यथा-
शान से_____तक। बहर भंग
वीर थे जो___बड़े। बहर भंग
कथ्यों में भी स्पष्टता लानी होगी।
सीमा खड़े, माटी पड़े-क्या आशय है आपका?
बाकी सब शुभ शुभ। सादर
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on November 1, 2016 at 5:29am
हार्दिक आभार आदरणीय कालीपद मंडल जी आपके स्नेहिल टिपण्णी हेतू।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on November 1, 2016 at 5:27am
शुक्रिया जनाब शेख शहजाद उस्मानी साहब हौसला अफजाई के लिए
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 31, 2016 at 10:56am

बहुत सुन्दर भावपूर्ण मुक्तक ,बधाई आपको आ,सुनील प्रसाद जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2016 at 10:13am
समसामयिक परिदृश्य पर बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सुनील प्रसाद शाहाबादी जी। कहीं कहीं (तीसरे चरण) में गेयता कम लगी है मुझे।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service