For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोर के स्वर गान में 

आकर बसे तुम प्राणों में

रश्मि मुग्धा ले चली 
अनुराग सागर की तली
सीप की उच्छवांस में 
आकार बसे तुम लहर में

मौन होकर रात भागी 
तारकों को विरक्ति लागी 
आकाश के सोपान में 
आकर बसे तुम भानु में

प्रेम के संतृप्त मन में 
नेह से डोले बदन में 
चारणों की मधुर धुन में 
आकर बसे तुम शब्दों में

नीद के विश्वास में 

अभिलाष के अवकाश में

हृदय की सुस्मित पुलकन में 
आकर बसे तुम ध्यान में

शलभ के उन्माद में 
दीप के अवसाद में 
मलय की तीखी खुनक में 
आकर बसे तुम वेग में

भोर के स्वर गान में 
आकर बसे तुम प्राणों में ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on April 23, 2015 at 9:32pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर मैं आप से सहमत हूँ / मुझे लगता है कि दोनों तरीके से लिख सकते हैं । जब हम कहते है कि मेरे प्राणों में हलचल है । मेरे प्राण में हलचल है । कौन सा वाक्य सही होगा ???

Comment by kalpna mishra bajpai on April 23, 2015 at 9:23pm

आप सभी आदरणीय सुधि जनों का हार्दिक आभार /सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 23, 2015 at 12:42pm

आ० कल्पना जी

गीत बहुत ही मधुर है . आपको बधाई ,  एक बात कहूँगा अकसर लोग प्राणों का प्रयोग करते हैं पर क्या किसी के शरीर में एक से अधिक् प्राण  होता है . नहीं न , तब 'आकर बसे तुम प्राण में' क्यों न लिखें . सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 22, 2015 at 11:28am

प्रेम के संतृप्त मन में 
नेह से डोले बदन में 
चारणों की मधुर धुन में 
आ बसे तुम शब्दों में | ---- बहुत सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए बधाई  आदरणीया कल्पना जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 22, 2015 at 10:03am

बहुत सुंदर, आदरणीया कल्पना दीदी. कविता में सहज सादगीपूर्ण भाव बहुत अच्छे लगे. बधाई स्वीकारें

Comment by Samar kabeer on April 21, 2015 at 10:56am
मोहतरमा कल्पना जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 21, 2015 at 4:50am
सुन्दर स्तुति , आदरणीय कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी , बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
46 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service