For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिना अपना बनाये ।।

लोग पहले
रिश्ता बनाते हैं
उसके बाद
रिश्तों की दुहाई देकर
दिल दुखाते हैं।।

मगर मैं
आश्चर्यचकित हूँ
तुम्हारे हुनर से
क्योंकि तुमने 
अपनों से भी बढ़कर
दिल दुखाया है मेरा
बिना रिश्ता बनाये
बिना अपना बनाये ।।

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित



Views: 404

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 19, 2015 at 10:40pm

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आभार

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 8:14pm

कम शब्दों में लाजव़ाब प्रस्तुति! बधाई उमेश जी!

Comment by umesh katara on April 18, 2015 at 7:24pm

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी आभार


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 7:14pm

इस भावप्रधान प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय कटारा जी.

Comment by umesh katara on April 18, 2015 at 1:51pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी आभार

Comment by umesh katara on April 18, 2015 at 1:50pm

आदरणीय Samar kabeer जी आभार

Comment by umesh katara on April 18, 2015 at 1:50pm
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 18, 2015 at 12:48pm

वाह कटारा जी

बहुत सुन्दर कथन .

Comment by Samar kabeer on April 18, 2015 at 10:38am
जनाब उमेश कटारा जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें |
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 18, 2015 at 9:07am

हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ, बधाई आदरणीय उमेश जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service