For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लघु प्रयास (ताटंक छन्द) *****************************

राष्ट्र-वन्दना के स्वर फिर से,वीणाओं में गूँजेंगे ।।
शीश चढ़ाकर अगणित बॆटॆ,भारत माँ को पूजेंगे ।।
षड़यंत्रों नें बाँध रखा है, आज हिन्द को घेरे में ।।
मानवता का दीप जलायें, आऒ सभी अँधेरे में ।।

अपने अपने धर्म दॆवता, लगते सबकॊ प्यारे हैं ।।
जितने प्यारे प्राण हमारे, उतनॆ सबकॆ प्यारे हैं ।।
राजनीति कॆ आकाऒं नॆं, कुछ ढ़ॊंगी बाबाऒं नॆं !!
भॆद-भाव सिखलाया सबको,इन मतलबी सभाऒं नॆं !!

नीला-अम्बर दॆख रहा है,बदली - बदली काया है !!
एक धरा है एक गगन है, एक ब्रम्ह की माया है !!
मनमर्ज़ी सॆ फिर नर कैसॆ,पशुवत तर्क बना बैठा !!
इतनॆ सुन्दर जीवन कॊ वह,खुद ही नर्क बना बैठा !!

बैर-भाव से भरा लबालब,ये बिष पात्र नहीं पीना !!
हिन्दू,मुस्लिम,सिख ईसाई,बनकर मात्र नहीं जीना !!
आऒ मिलकर करॆं प्रतिज्ञा,समता राष्ट्र बनायॆंगॆ !!
धर्म-वाद सॆ मुक्त दॆश मॆं,दीपक दिव्य जलायॆंगॆ !!

"राज बुन्दॆली"
२८/०१/२०१५

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2015 at 12:14pm

राष्ट्र भक्ति पर लिखे यह  ताटंक छंद सराहनीय है जिसके लिए बहुत- बहुत बधाई आपको राज बुन्देली जी, एक दो जगह टंकण त्रुटी है आशा है सुधर लेंगे|  

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:28am
बहुत ही ज़ोरदार छंद हुआ है आदरणीय।।हार्दिक बधाई आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:28am

आदरणीय कवि राज बुंदेली जी आपकी इस रचना के प्रवाह के साथ बहता चला गया बहुत सुंदर रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by somesh kumar on January 30, 2015 at 11:27am

आऒ मिलकर करॆं प्रतिज्ञा,समता राष्ट्र बनायॆंगॆ !!
धर्म-वाद सॆ मुक्त दॆश मॆं,दीपक दिव्य जलायॆंगॆ !!
, देश-प्रेम ,मानवता -एकीकरण पर सुंदर रचना ,बधाई बुंदेला जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 30, 2015 at 12:55am

वाह बहुत ही सुन्दर रचना. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय राज बुन्देली जी .... इस पद के लिए विशेष बधाई 

बैर-भाव से भरा लबालब,ये बिष पात्र नहीं पीना !!
हिन्दू,मुस्लिम,सिख ईसाई,बनकर मात्र नहीं जीना !!
आऒ मिलकर करॆं प्रतिज्ञा,समता राष्ट्र बनायॆंगॆ !!
धर्म-वाद सॆ मुक्त दॆश मॆं,दीपक दिव्य जलायॆंगॆ !!

Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 8:23pm

आदरणीय राज बुन्देली जी,

desh prem se aut prot rachna kafi sundar hai. dheron badhi.

Sabse pahle bharatvasi ,

Phir dharm ,prant,Bhasha Bhashi

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 5:57pm

आदरणीय राज बुन्देली जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है बहुत बहुत बधाई आपको ! सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 29, 2015 at 12:28pm

राज बुन्देलीजी

प्रसन्नता  होती है कि अंकविता और नयी कविता या अतुकांत के इस दौर् में आप  छ न्दो पर प्रयास करते हैं i  (16 ,14)और अंत मे 222 का आपने अच्छा  निर्वाह किया है i भाव भी संतुलित है i आपकी रचना सफल है ब्रम्ह  को ब्रह्म कर लीजिये i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service