For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्वविख्यात संस्था के दो स्वामी जी मेरे घर पधारे ।
मैने आवभगत के पश्चात प्रश्न किया ; "महाराज आपको स्वामी क्यों कहा जाता है? "
उन्होने कहा; "जो अपने मैं का अर्थात् अहं का स्वामी हो। जिसे संसार के छल-छद्म डिगा न सके। जो गुणातीत हो, भावातीत हो। जिसे आत्मज्ञान हो गया हो वह स्वामी कहलाता है।"
"ओह ! कितने पहुँचे हुये हैं साधु-महाराज हैं।तुरीयावस्था को प्राप्त ।" मैं श्रद्धा से नत-मस्तक ।

थोडे दिन बाद सुना कि उनमें से एक स्वामी जी ने नाराज़ होकर दूसरा आश्रम स्थापित कर लिया ।

डाॅ संध्या तिवारी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 11:57am

चंचला का प्रभाव है. सारी विद्या धरी की धरी रह जाती हैं...

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 17, 2014 at 8:30pm

आज कल तो ऐसे स्वामियों की भरमार है देश में ..टी वी पर भी इनके कारनामे यदा कदा दिखाए जाते हैं अहम पर कौन विजय पा सका है ,सुन्दर लघुकथा |बधाई आपको |

Comment by विनय कुमार on October 16, 2014 at 12:15pm

अपने अहं पर विजय पाना सबके बस की बात नहीं | बहुत अच्छी लघुकथा..

Comment by Dr.sandhya tiwari on October 16, 2014 at 8:52am
Jitendraji aabhari hoon aapki ham jese naye logo ko padane or sarahane ke liye.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 16, 2014 at 8:04am

हो सकता हो आत्मज्ञान में कुछ कमी रह गयी हो. बहुत बढ़िया विषय, बधाई आदरणीया संध्या जी

Comment by Dr.sandhya tiwari on October 15, 2014 at 7:31pm
आभार, सर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 6:32pm

तुरीयावस्था तिरोहित i  नया आश्रम साकार i

आज के तत्वज्ञ  का ऐसा ही आचार i    सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service