For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्याम जैसी वो साँवरी होगी : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122  1212  22


खूबसूरत हँसी परी होगी,
सोचता हूँ जो जिंदगी होगी,

सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,

 

ख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं,
मांगने में कहीं कमी होगी,

ख़त्म कर लें विवाद आपस का,
मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,

 

मौत ने खा लिया बता देना,

जिस्म में जान जब नही होगी,

शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी....

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 4:52pm

सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई अरुण अनंत जी....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2013 at 2:39am

ख़त्म कर लें विवाद आपस का,

मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,
 
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,

सत्य बोलूँगा खलबली होगी....

क्या बात है ! क्या बात है !!..  अरुन भाई, इन दो शेर को अलग से भी पढ़ना भला लग रहा है. बधाई..

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:39pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:39pm

तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय अभिनव अरुण भ्राताश्री आपका स्नेह मिला ग़ज़ल सार्थक हुई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल सर

Comment by vijay nikore on December 8, 2013 at 1:51pm

इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Abhinav Arun on December 8, 2013 at 5:38am

क्या कहने आ. अरुण अनंत जी ..बड़ी सादगी से खूबसूरती से अपनी बात कहती इस ग़ज़ल के ढेरों मुबारकबाद !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 10:35pm

अनंत जी

बहुत अच्छी ग़ज़ल  कही  छोटे बह्र पर i

आपको बधाई  i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 4:51pm

हार्दिक आभार आदरणीय निलेश जी ग़ज़ल आपको पसंद मुझे ख़ुशी हुई जी जरुर हँसी को हसीं कर लेता हूँ सलाह हेतु आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 4:50pm

हार्दिक आभार आदरणीय भ्रमर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय विकास जी। मतला, गिरह और मक़्ता तो बहुत ही शानदार हैं। ढेरो दाद और…"
19 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलक राज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल के हर शेअर को फुर्सत से जांचने परखने एवं सुझाव पेश करने के…"
33 minutes ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
2 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service