For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे रमल मुसमन महजूफ
2122 2122 2122 212

फूल जो मैं बन गया निश्चित सताया जाऊँगा,
राह का काँटा हुआ तब भी हटाया जाऊँगा,

इम्तिहान-ऐ-इश्क ने अब तोड़ डाला है मुझे,
आह यूँ ही कब तलक मैं आजमाया जाऊँगा,

लाख कोशिश कर मुझे दिल से मिटाने की मगर,
मैं सदा दिल के तेरे भीतर ही पाया जाऊँगा,

एक मैं इंसान सीधा और उसपे मुफलिसी,
काठ की पुतली बनाकर मैं नचाया जाऊँगा,

जख्म भीतर जिस्म में अँगडाइयाँ लेने लगे,
मैं बली फिर से किसी भी क्षण चढाया जाऊँगा,

जब जरुरत पर कोई भी काम आएगा नहीं,
मैं भले खोटा ही सिक्का हूँ चलाया जाऊँगा...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 11:44pm

डूब कर कहा है आपने भाई.
दिल से बधाई लीजिये. लगता है कि आपकी ज़िन्दग़ी में अब ग़ज़ल के लिए वातावरण बनने लगा है.
जय हो...  :-)))))
शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 10, 2013 at 7:57pm

आत्म विवशता...की ज़मीन पर जिस तरह यह ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, सब अशआर अपना अपना असर छोड़ने में सक्षम हैं..

मर्मस्पर्शी सुन्दर ग़ज़ल 

हार्दिक बधाई प्रिय अरुण शर्मा जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 10, 2013 at 2:04pm

bahut khoob ... Ghazal ke liye Badhai

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2013 at 10:19am

फूल जो मैं बन गया निश्चित सताया जाऊँगा,
राह का काँटा हुआ तब भी हटाया जाऊँगा,...........एक तरफ कुआ दूजी तरफ खाई

एक मैं इंसान सीधा और उसपे मुफलिसी,
काठ की पुतली बनाकर मैं नचाया जाऊँगा,............ऐसा भी होता ही है

जब जरुरत पर कोई भी काम आएगा नहीं,
मैं भले खोटा ही सिक्का हूँ चलाया जाऊँगा...........अवसरवादी लोगों के क्या कहने

खुबसूरत गजल, अपने अन्तर की व्यथा का सजीव चित्रण करती हुयी, तहे दिल से दाद कुबुलिये आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 2:50pm

अरुण जी ..किसी दुखी मन की अंतर्व्यथा का कमाल का चित्रण किया है अपने ग़ज़ल के माध्यम से आपने ..बलि शब्द के मामले में मैं भी दुबिधा में हूँ ..शायद बलि  ही सही है ..आपको ढेर सारी बधाई ..सादर 

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 2:04pm

क्या बात है ... बहुत सुन्दर गज़ल 

बधाई आप को आदरणीय अरुन जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 1:37pm

आदरणीया किरण दी आप आईं बहार आई, आपका स्वागत है सत्य कहा बहन आपने यही यथार्थ है हार्दिक आभार दी.

Comment by Kiran Arya on December 9, 2013 at 1:31pm

एक मैं इंसान सीधा और उसपे मुफलिसी,
काठ की पुतली बनाकर मैं नचाया जाऊँगा,.........अरुन यहीं तो है आज का यथार्थ ........सुंदर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:38pm

आदरणीया वंदना जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका जी आपके सुझाव के अनुरूप परिवर्तन की आवश्यकता है, सुझाव हेतु दिल से शुक्रिया कुछ बदलके देखता हूँ.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:38pm

तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय हेमंत भाई जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
14 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
42 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service