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कुछ सपने केवल सपने ही रह जाते हैं 

बिना पूरे हुये, बिना हकीकत हुये 

और हमे वो ही अच्छे लगते हैं 

अधूरे सपने, बिना अपने हुये 

हम जी लेते हैं 

उसी अधूरेपन को 

उसी खालीपन को 

सपने की चाहत में

जानते हुये भी ....

सपने तो सपने हैं 

सपने कहाँ अपने हैं 

यथार्थ को छोड़कर 

परिस्थिति से मुह मोड़कर 

हम जीते हैं सपने में 

सपने हम रोज देखते हैं 

कुछ ही सपनो को हम जीते हैं 

बाकी सपने सपने ही रह जाते हैं 

सपने तो सपने हैं ... 

वो कहाँ अपने हैं .... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 30, 2013 at 9:51am

आदरणीय आमोद श्रीवास्तव जी 

सुन्दर कथ्य है प्रस्तुति का.. स्वप्न तो स्वप्न ही हैं ...अधूरे स्वप्न भी हमें स्वीकार्य होते हैं, क्योंकि अजीज होते हैं.

सब सपनों को न जी सकने का दर्द और स्वप्नों का पूरा न होने को स्वीकारती इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई.

वैसे कहीं कहीं गद्यात्मकता / सपाटबयानी से बचा जा सकता था... अतुकांत रचनाओं में यही सबसे बड़ा चैलेन्ज होता है.

शुभकामनाएं 

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 9:27pm

बहुत खूब आ0 अमोद जी..... एक सार्थक रचना हेतु बधाई....

Comment by Amod Kumar Srivastava on October 24, 2013 at 6:38am

आदरणीय जितेंद्र जी, बृजेश जी, मीना पाठक जी, अन्नपूर्णा जी, अखिलेश जी, गिरिराज जी, अरुण शर्मा जी आप सभी को बहुत बहुत आभार ... मेरा उत्साहवर्धन के लिए..... 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 11:51pm

जीवन की वास्तविक व् कड़वे सच का, चित्रण करती खुबसूरत पंक्तियों पर, बहुत बहुत बधाई आदरणीय अमोद जी

Comment by बृजेश नीरज on October 23, 2013 at 10:29pm

अच्छी रचना है!

Comment by Meena Pathak on October 23, 2013 at 6:51pm

हम जी लेते हैं 

उसी अधूरेपन को 

उसी खालीपन को 

सपने की चाहत में

जानते हुये भी .........बहुत सुन्दर रचना | सादर बधाई स्वीकारें 

Comment by annapurna bajpai on October 23, 2013 at 6:44pm

सुंदर रचना आ0 आमोद जी बधाई आपको । 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 23, 2013 at 4:00pm

आमोद भाई सपने की बधाई । सपना यदि सच होता जाये, जीना भी दूभर हो जाये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 2:20pm

आदरणीय आमोद भाई , सुन्दर जीवन दर्शन !!!! आपको बधाई !!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 23, 2013 at 12:47pm

आदरणीय आमोद जी वास्तविकता को दर्शाती सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

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