For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने ब्लॉग पर सर्वप्रथम पोस्ट ( रचना )माँ को समर्पित ...!!

                -1-

बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,
शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ  !
हर युग में कपूत , देते रहे कष्ट धूप  ,
उनका भी हित किया,कितनी उदार माँ !
आँचल की छांह मिल,दुख सारे गए मिट ,
तेरे नयनों से झरे ,हर पल प्यार माँ !
कोई नहीं दुनिया में,तुझसा कृपालु मात ,
सामने तुम्हारे लघु , सारा संसार माँ !!
                 -2-
सरस,सरल,मृदु ,अधरों पै हास धर ,
पल-पल बिखराती,नित दिव्य-ज्ञान माँ !
स्वाभिमानी,स्वावलंबी,पंख मिले उन्नति को,
अथक है गतिमान ,मेरा दिनमान माँ !
वंदना करे तुम्हारी, सारा जग बलिहारी ,
आदि-अंत,तुमसे ही , मेरी पहचान माँ !
 मात तुम सीप सम ,नन्हे-नन्हे मोती हम,
गर्भ में मिला है तेरे ,हमें प्राण दान माँ !!

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2012 at 12:10am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति

सादर स्वागत है

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:45am

जय माता दी सुन्दर प्रस्तुति


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2012 at 8:28pm

आपका सादर स्वागत है आदरणीया.

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 1, 2012 at 8:24pm

गर्भ में मिला है तेरे ,हमें प्राण दान माँ !!

मृत्यु सर्वथा सत्य है, साथ ही प्राणों का उद्भव माता के द्वारा है, यह भी सर्वथा सत्य है| धन्य है जननी, जो प्राणदान के साथ अपना जीवन समर्पण भी कर देती है ||| आपके ब्लॉग की  पहली रचना के इतने भावपूर्ण होने पर बहुत बधाई, भावना जी  |||

Comment by seema agrawal on December 1, 2012 at 8:07pm

प्रथम प्रस्तुति  के साथ स्वागत है आपका 

बहुत सुन्दर और प्रभावशाली  घनाक्षरी के लिए हार्दिक बधाई  भावना जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 7:52pm

आदरेया भावना जी 

               सादर, माँ को समर्पित सुन्दर घनाक्षरी रचना पर बधाई स्वीकारें.स्वागत है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 7:51pm

आदरणीया डॉ. भावना जी,

 जगज्जननी माँ शक्ति स्वरूपा को समर्पित घनाक्षरी छंद बेहद सरस व प्रवाहमय है.

प्रथम दो पंक्तियाँ बेहद गहन और सुन्दर हैं 

बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,
शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ  !

हार्दिक बधाई इस बेहतरीन पवित्रतम भावयुक्त प्रथम ब्लॉग पोस्ट पर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 4:03pm

मात तुम सीप सम ,नन्हे-नन्हे मोती हम,
गर्भ में मिला है तेरे ,हमें प्राण दान माँ !!  - सुन्दर समर्पित भावों के साथ प्रविष्टि के लिए बधाई और शुभ कामनाए 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2012 at 3:50pm

आदरणीया भावना जी सादर प्रणाम 
बहुत सुन्दर घनाक्षरी रची है माँ के सन्दर्भ में आपने सादर बधाई आपको

Comment by shalini kaushik on December 1, 2012 at 3:39pm

बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,
शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ  !
हर युग में कपूत , देते रहे कष्ट धूप  ,
उनका भी हित किया,कितनी उदार माँ !
आँचल की छांह मिल,दुख सारे गए मिट ,
तेरे नयनों से झरे ,हर पल प्यार माँ !
कोई नहीं दुनिया में,तुझसा कृपालु मात ,
सामने तुम्हारे लघु , सारा संसार माँ !!

bahut sundar bhavnayen prastut kee hain aapne bhavna ji.pahli blog post maa ko samarpit kar aapne apna jeevan dhanya kar liya hai .aabhar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service