For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कच्चे आमों जैसा खट्टा कभी शहद सा होता जीवन (१०९ )

एक गीत
----------------
कच्चे आमों जैसा खट्टा
कभी शहद सा होता जीवन |
***
पाया जीवन है जिसने भी
पल पल देनी पड़े परीक्षा |
कैसे भी हालात किसी के
जीवन की मत करें उपेक्षा |
करते अगर भ्रूण की हत्या
या करते हत्या अपनी तुम
पाप हमेशा कहलायेंगे
न्याय करेगा अगर समीक्षा |
अपनी नादानी के कारण
क्यों करते खिलवाड़ मनुज तुम
मिटटी के सम ठोकर मारो
क्या इतना है सस्ता जीवन |
***
कच्चे आमों जैसा खट्टा
कभी शहद सा होता जीवन |
***
माना मन को विचलित करते
जीवन में तूफान सभी को |
कभी कभी ही लगे निरंतर
ये जीना आसान सभी को |
कंटक बन कर चुभते रहते
विकट कई हालात जगत में
हुए उपस्थित ऐसे मंज़र |
जो करते हैरान सभी को |
लाख नज़र आती कठिनाई
हमें बचाना इसको फिर भी
मिला ईश से वर जो सुंदर
पुष्पों का गुलदस्ता जीवन |
***
कच्चे आमों जैसा खट्टा
कभी शहद सा होता जीवन |
***
अगर आपके जीवन में सुख
कूट कूट कर भरे पड़े हैं |
दीन दुखी को बांटो थोड़े
ग़म से जो अधमरे पड़े हैं |
जिनका नहीं जगत में कोई
पालन हारा सिवा ईश के
भांति भांति के जख्म अभी तक
जिन लोगों के हरे पड़े हैं |
इसमें भी संतोष मिलेगा
और मिलेगी सदा दुआएं
औरों के आँगन यदि देखो
जीता हँसता गाता जीवन |
***
कच्चे आमों जैसा खट्टा
कभी शहद सा होता जीवन |
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 14, 2020 at 9:00am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी ,हार्दिक आभार और वंदन आपका उत्साहवर्धन के लिए |

Comment by नाथ सोनांचली on June 14, 2020 at 8:23am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत तुरन्त जी सादर प्रणाम। खूबसूरत गीत सृजित किया आपने। हर बन्द सोचने को विवश करता हुआ। वह वाह वाह। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 14, 2020 at 12:35am

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , 

हार्दिक आभार और वंदन आपका उत्साहवर्धन के लिए |

Comment by TEJ VEER SINGH on June 13, 2020 at 6:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी जी। बेहतरीन गीत। 

अगर आपके जीवन में सुख
कूट कूट कर भरे पड़े हैं |
दीन दुखी को बांटो थोड़े
ग़म से जो अधमरे पड़े हैं |
जिनका नहीं जगत में कोई
पालन हारा सिवा ईश के
भांति भांति के जख्म अभी तक
जिन लोगों के हरे पड़े हैं |
इसमें भी संतोष मिलेगा
और मिलेगी सदा दुआएं
औरों के आँगन यदि देखो
जीता हँसता गाता जीवन |

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 13, 2020 at 12:39pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , 

आपने रचना को सराहा। आपके स्नेह के लिए अंतस्थल से आभारी हूँ। सादर नमन।

Comment by Samar kabeer on June 12, 2020 at 6:54pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, अच्छा गीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 11, 2020 at 7:04pm

Dimple Sharma जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभाऱ ,खुश रहिये | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 11, 2020 at 7:04pm

Dimple Sharma जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभाऱ ,खुश रहिये | 

Comment by Dimple Sharma on June 11, 2020 at 11:09am

नमस्ते आदरणीय, बहुत सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service