For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२२१ २१२१ १२२१ २१२

रिश्ते वफ़ा सब से निभाकर तो  देखिए 
सारे जहाँ को अपना बनाकर तो देखिए
 
इसका मिलेगे अज़्र खुदा  से  बहुत  बड़ा 
भूखे  को एक रोटी  खिलाकर तो देखिए 
 
खिल जाएगा खुशी से वो चेह्रा गुलाब सा
रोते  हुए  को  आ प हंसा  कर तो देखिए 
 
दुश्मन भी एक रोज़ मिलेगा वफ़ा के साथ 
परचम अमाँ का हर सू उड़ाकर  तो देखिए 
 
हर  राहगीर  दिल से  दुआ  देगा आपको 
इस तीरगी में  शमअ जलाकर तो देखिए 
 
खुश्बू से महक जाएगा घर  बार आपका
उजड़े हुए चमन  को  बसाकर तो देखिए 
 
इक चौंदवी का चाँद नज़र आएगा "रज़ा"
जुल्फे रूखे  हँसी  से  हटाकर  तो  देखिए 

सलीम रज़ा रीवा-09424336644

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2013 at 7:55am

आदरणीय सौरभ पांडेय जी आपकी दुआएँ ही काफ़ी है ........शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 25, 2013 at 8:22pm

आपकी ग़ज़ल पर आज आ पाया हूँ. ग़ज़लों की कहन को तनिक और नयापन दें. और कसने की कोशिश करें, भाईजी.

बहरहाल, बधाई .. .

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 20, 2013 at 9:03am

बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है ..हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2013 at 7:49am

खिल जाएगा खुशी से वो चेह्रा गुलाब सा रोते  हुए  को  आ प हंसा  कर तो देखिए

बहुत सुन्दर

Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2013 at 9:51pm

 आदरणीय  गिरिराज भंडारी   जी.,,,बहन  annapurna bajpai  जी.,,,,आदरणीय AVINASH S BAGDE जी.,,

आप सभी को   दिली  शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 7:22pm

आदरणीय सलीम भाई , बहुत खूब सूरत ग़ज़ल कही है , वाह वा ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on December 19, 2013 at 2:08pm

आ० सलीम रज़ा जी सुंदर गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें । हर एक अशर खूबसूरत बन पड़ा है । 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 19, 2013 at 10:46am

सारे जहाँ को अपना बनाकर तो देखिए....बहुत सुन्दर!सलीम रजा साहेब

Comment by SALIM RAZA REWA on December 18, 2013 at 9:02pm

 आदरणी डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी..

आदरणीSanjay Mishra 'Habib' ...जी

आदरणी Meena Pathak जी 

 आदरणीShyam Narain Verma जी

 आप सभी को नाचीज़ का  दिली  शुक्रिया..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2013 at 7:23pm

सलीम रजा साहेब

आपकी ग़ज़ल में एक मासूमियत सी मुझे लगी i वही इस्की USP है i बेहतरीन प्रयास i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service