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किसको बतायें -एक कोशिश - डॉo विजय शंकर

सम्हाल सके न इश्क किसको बतायें
हम काबिल ही न थे किसको बतायें |

जगहंसाई अपनी क्योंकर करायें
तुम बेवफा निकले किसको बतायें |

तुम खेल गये खेल था तुम्हारे लिये
हम समझे क्या उसे किसको बतायें |

लगा दुनियाँ जीत ली संग तुम्हारे
पर हम हर पल हारे किसको बतायेँ |

इक काँटा चुभे उसकी फितरत है
फूल भी चुभता है किसको बतायें

वजह भी बेवफाई की होती है
वजह वो खुद हम थे किसको बतायें |

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 11:43am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आप हौसला बढ़ाते रहें , मैं कोशिश करता रहूँ , बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 16, 2015 at 11:19am

आदरणीय विजय भाई , हमेशा की तरह बहुत खूब सूरत बातें कहीं है , आदरणीय ! रचना गज़ल के बहुत करीब पहुची है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 15, 2015 at 10:39pm
नैये अंदाज में देखा है, आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी ,हो सकता है कभी पसंद भी आये ,कोशिश है, धन्यवाद, सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 15, 2015 at 10:12pm

विजय सर !

आपको एक नए रंग में देख रहा हूँ  . क्या बात है .

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:44pm
आदरणीय जीतेन्द्र जी, यह अंदाज भी आपको अच्छा लगा , आपका आभार, आपके उत्साहवर्धन एवं बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:39pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपका आभार, आपके उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:37pm
आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपका आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:35pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:24pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी, रचना आपको अच्छी लगी , आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार, बधाई हेतु भी धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:21pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, रचना आपको अच्छी लगी , आपका आभार, बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।

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