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आदरणीय.... मासूमियत तो बचपन के साथ ही खो जाती है क्यूंकि दुनियाँ की हकीकत तो संघर्ष ही है ....भावपूर्ण रचना ..बधाई
अत्यंत सुन्दर संदेशवाहक कविता पर आपको हार्दिक बधाई आ.विजयशंकर जी |
मासूमियत देखते ही दरिन्दे लार टपकने लगते है!!पुलिसवाले के लिए 200-500 का इंतजाम है मासूमियत! ट्रैफिकइंस्पेक्टर के लिए आज का बकरा है मासूमियत! आजकल के डाक्टरों के लिए नया शिकार है मासूमियत!! लडकियों के लिए तो अभिशाप है मासूमियत!!
आजकल की जिंदगी में असफलता का नाम है मासूमियत!! इसलिये अब बस किताबों का किस्सा है मासूमियत!! बहुत ही धारदार रचना!आपको अभिनन्दन आदरणीय!!
आपकी जिंदगी कुछ हो न हो ,
एक संघर्ष है , एक युद्ध अवश्य है ,
यही सत्य है हर कदम पर ज़िन्दगी एक संघर्ष है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये
Aadarniya Dr.Vijay Shanker Ji,
Himmat wa sahas par bahut hi achhi prastuti.. Sach much Aadami ka saccha dost sahas hi hai. Iske abhav main vykti pal pal marta hai.
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