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दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!...कटाक्ष.

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!

"वो भी क्या दिन थे! करुणा की कनीमोजी...बड़े खिलाडी या खिलाडियों के खिलाडी कलमाड़ी.....और टेलीकाम के एक-छत्र राजा -धिराज  यानी ए.राजा और ...'करलो दुनिया मुट्ठी में' के दो-चार बड़े बाबू... जैसे सारे लोग अपनी मुट्ठी में थे...!!!!"सर पे हाथ रख कर  आज तिहाड़ जेल की आत्मा विलाप कर रही है.उसका विलाप करना भी लाजिमी ही है.साल भर से देश की मिडिया की सुर्खियाँ बटोरने का चस्का जो लग गया था तिहाड़ को.. राजाज का छींकना...कनीमोजी के मेकअप में उंच-नीच...कलमाड़ी जी को दिल्ली की शीला के टंगड़ी मारने के किस्से ....इन सबके साथ तिहाड़ का नाम भी मिडिया की नाक तक पहुंचता था..और नाक से होता हुआ सीधासुबह के अख़बार की सुर्ख़ियों में. आखिर ये शोहरत के कीड़े भी कोई चीज हैं! जिसको एक बार काटा तो कई दिन तक जहर नहीं उतरता.अब तिहाड़ भी अपने से कोई बाहर थोड़े ही है.व्ही.आय.पी. के जेल में बटर-ब्रेड  तोड़ने के दिनों में तो जैसे तिहाड़ में बहारों का मौसम आजाता है...हर ओर चहल-पहल,टाईट  -फाइट सुरक्षा के तथाकथित  चाक-चौबंद इंतजाम..फाइलों के अम्बारों का इधर से उधर आवागमन...काले कोट वालों का आनंद मेला सा लगा रहता था.
  अब तो कौव्वें भी श्राद्ध-पक्ष की तरह इधर नहीं फटकते...काले-कोट वालों की तो दूर की बात है!!!
बाकी के छोटे-मोटे जेल मारे खुशीके बल्लियों उछल रहें है.आखिर दूसरे के दुःख में ही तो अपने  जीवन का सच्चा आनंद है भाई साहब.राजा साहब पूरी बत्तीसी हाँथ में लिये हुये  सदन में घुसे तो अखबारों/टी.व्व्ही. में ये दृश्य देख कर तिहाड़ का दिल छलनी हो गया.
राजा...कलमाड़ी...कनीमोजी ...सबको इस तिहाड़ ने बिदा कियाहै अपने दिल पे पत्थर रख कर.आखिर नौ महीने से ऊपर राजा जीतिहाड़ में थे.कोई प्री-मेचोर डिलवरी थोड़े ही है.
तिहाड़ को अपनी कोख पे फख्र भी होता है.न जाने कितने गुंडे-बदमाशों को व्हाया तिहाड़ इस देश की गद्दी संभालने का मौका दिया .तिहाड़ का सर्टिफिकेट मिला तो समझो देश की राजनीती के रास्ते सत्ता के रसीले फल खाने का उत्तम जुगाड़....
मिसा में,आपातकाल के दौरान,न जाने कितनो ने लगे हाँथ सत्ता के गंगा में डुबकी लगे और पुरखो सही तर गए.नेताओं  को वोट देनेवाले बेचारे बस घर से निकलते हैं...मतदान केंद्र में वोट डालते है और वापस पांच साल के लिये  घर में कैदे-बा मशक्कत  भोगते रहते है.उनके लिये घर ही तिहाड़ हो जाता है.
देखें अभी-अभी बाबुल का घर बिदा  हुये माननीय लोग भविष्य की राजनीती में क्या गुल खिला कर हमारे तिहाड़ का नाम कितना ऊँचा करते हैं.
उ.प्र.  में अखिलेश भाई खोद-काम करवा रहे है.देखिये किस-किस हांथी के पैर के नीचे कौन-कौन से भ्रष्टाचार के हीरे-जवाहरात निकलते है. फिर कोई तिहाड़ का भाई-बंद अपनी किस्मत की बांसुरी बजाएगा.
तिहाड़ जी अभी तो सुतली बमों से ही काम चलाओ.धमाकेदार आइटम पाईप  लाइन में हैं......
"रोता जेल तिहाड़ का,मन के भीतर आग.
राजा जी भी छोड़ गए,फूट गएँ हैं भाग."
अविनाश बागडे.

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Comment

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Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 21, 2012 at 1:12pm

बहुत बढ़िया राजनैतिक व्यंग्य आउट तिहाड़ की बेबसी का जीता जागता चित्रण । अविनाश जी आपको बहुत बहुत बधाई !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 9:35am

वाह वाह अविनाश जी, सही निशाना लगाये हैं, बढ़िया और सटीक व्यंग्य है, बधाई आपको |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 20, 2012 at 9:15pm

राजा...कलमाड़ी...कनीमोजी ...सबको इस तिहाड़ ने बिदा कियाहै अपने दिल पे पत्थर रख कर.आखिर नौ महीने से ऊपर राजा जीतिहाड़ में थे.कोई प्री-मेचोर डिलवरी थोड़े ही है!

अविनाश जी, बड़े सुन्दर  है राग! रास्ता किलियर है ! आने वाले मेहमानों के लए!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2012 at 5:04pm

बहुत जबरदस्त कटाक्ष 

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