For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (अजय कुमार शर्मा)

सच कहता है शख्स वो ,भले बोलता कम है
बहुत सोचता है , भले वो लब खोलता कम है


कितनी भी हावी सियासत हो गयी हो आज भी
वो वादे निभाता तो नहीं , मगर तोड़ता कम है

कहीं जज़बात के रस्ते में कोई दुश्वारियां न हों
वो ख़त भी रखता है , तो लिफाफा मोड़ता कम है

मशीनी हो गयी है , रफ़्तार-ए -ज़िन्दगी , अब
आदमी हाँफता ज़िआदा , मगर दौड़ता कम है

फुटपाथों पे वो नंगे ज़िस्म सो रहा है , "अजय"
चीथड़े पहनता तो है वो , मगर ओढ़ता कम है

अजय कुमार शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित
२३-०१-२०१४

Views: 465

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on January 27, 2014 at 9:55pm

सभी गुणीजन को सादर प्रणाम !
कोशिश तो कि थी किन्तु बह्र का अभ्यास नहीं कर पाया
आगे प्रयास करूंगा
यदि कोई त्रुटि हुयी हो तो क्षमा करेंगे

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 27, 2014 at 4:48pm

कहीं जज़बात के रस्ते में कोई दुश्वारियां न हों 
वो ख़त भी रखता है , तो लिफाफा मोड़ता कम  यह शेर बेहद पसंद आया ..आपको तहे दिल बढ़ाई ..आदरणीय अरुण जी और गिरिराज की सलाह पर अमल जरूर कीजियेगा सादर बधाई के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2014 at 4:29pm

आ० अजय शर्मा जी 

कृपया इस ग़ज़ल की बह्र को भी साझा कर दें ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2014 at 5:28pm

आदरणीय अजय भाई , ग़ज़ल मे बातें बहुत अच्छी कही है आपने आपको बधाइयाँ ॥  लेकिन आपके शे र एक ही बह्र मे नही लग रहे है , आदरणीय अरुण की बातों को ज़रूर खयाल करें ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 5:10pm

भाई अजय शर्मा जी कृपया ग़ज़ल की बह्र से अवगत करायें क्योंकि मतले में ही बह्र का निर्वाह नहीं हुआ है. दूसरी बात मतले में आपने (काफिया ओ लिया) और (रदीफ़ लता कम है) लिया दूसरे शेर में इसका निर्वाह नहीं हो रहा है देख लें. फिर चौथे शेर में काफिया औ लिया है आपने. आप इस मंच पर सक्रिय सदस्य हैं ग़ज़ल से सम्बंधित बहुत सामग्री मौजूद है पाठशाला में लाभ उठायें. काफी कुछ स्पष्ट हो जायेगा. सतत प्रयासरत रहें. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service