For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन का मौसम आया है............

हाथों से पता चल जायेगा होठों से खबर लग जायेगी
आँखों से नज़र आ जायेगा ,
सावन का मौसम आया है ऄ

कुछ बातें ऐसी वैसी होंगी , होंगीं जिनकी कुछ वज़ह नहीं
कुछ फूल खिलेंगे ऐसे जिनकी , होगी बागों में जगह नहीं
ख़ुश्बू , सबको बतलायेगी
सावन का मौसम आया है

झूलों पे बैठे हम और तुम , धरती से नभ तक हो आयेंगे
मिलन के बरसेंगे घन घोर , विरह के ताप हवन हो जायेंगे
दुनिया सारी जल  जायेगी  
सावन का मौसम आया है

इतनी फूलों को खबर कहाँ , कलियों को इतना होश कहाँ
महकेगी जवानी जब तेरी , खुश्बू में चमन जायेगा नहाँ
हर बात तेरी बहकायेगी
सावन का मौसम आया है

ये बाली उम्र ये अल्हड़ पन , मैं कैसे छुपाऊँ मन की अगन
हाथों से छूटी , अब छूटी , यौवन की गीली है डोर सजन
अब डोर ये टूट ही जायेगी
सावन का मौसम आया है

अजय कुमार शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 22, 2014 at 9:02pm

सुन्दर भाव पर शिल्प अभी बहुत सुगढ़ता की दरकार रखता है..

आपके सतत प्रयास से यह भी साधता जाएगा 

इस शृंगारिक  सुकोमल भाव प्रस्तुति के लिए बधाई आ० अजय शर्मा जी 

Comment by बृजेश नीरज on January 20, 2014 at 12:09am

अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!

कहन पर और काम करें!

Comment by ajay sharma on January 18, 2014 at 12:07am

saurabh sir .......kuch purana toota futa tha diary me ..vahi kuch hai .....apke asshish hetu dhanyavad 

Comment by annapurna bajpai on January 17, 2014 at 10:50pm

  सुंदर  रचना है बधाई आपको । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 17, 2014 at 5:35pm

आदरणीय अजय भाई , बहुत खूबसूरत गीत रचना हुई है , आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

Comment by coontee mukerji on January 17, 2014 at 4:07pm

जब किसी को प्यार हो जाता है तो हर मौसम सावन ही सावन लगता है...........बहुत सुंदर रचना है.भाई साहब, फ़ीलहाल अभी ठंड के मारे बाग में पत्ता पत्ता बूटा बूटा सिहुड़े सिमटे हुए है.शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2014 at 2:21pm

बस ऐसे ही प्रयासरत रहें, भाई.

पहले की आपकी रचनाओं की अपेक्षा इस रचना का भाव-प्रस्तुतीकरण तनिक अलग सा लग रहा है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Meena Pathak on January 17, 2014 at 1:39pm

आप की रचना पढ़ते पढ़ते ही छम छम बारिश होने लगी है .. पर सावन का महीना अभी दूर है :)

बहुत सुन्दर रचना ,, बधाई आप को | सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service