For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल -8 ( खूब दिलबर है वो हँसके शिकार करता है)

2122 1122 1212 22

सीधे सीधे वो कलेजे पे वार करता है
खूब दिलबर है वो हँसके शिकार करता है //१

चाल होती है अज़ब उसकी मीठी बातों में
झूठी बातें वो बड़ी शानदार करता है //२

खूब हिस्सा जो दवाओं में खा रहा है वो
डॉक्टर अब तो दवा से बीमार करता है //३


जिस्म औ रूह के सुकून को मिटा डाला
और कहता है कि वो मुझसे प्यार करता है //४

ख़ून का प्यासा हुआ है ग़ज़ब का अब इंसां
ख़ून के रिश्ते को भी तार तार करता है //५

आज महफूज़ कहाँ बेटी अपने ही घर में
घर का वहशी ही उसे शर्मसार करता है // ६

-- क़मर जौनपुरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by क़मर जौनपुरी on November 27, 2018 at 8:26am

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब इस्लाह के लिए। 

Comment by Samar kabeer on November 26, 2018 at 12:44pm

वो सीधे सीधे कलेजे पे वार करता है

अजीब यार है हँसकर शिकार करता है

न जाने चाल है क्या उसके मीठे लहजे में

वो झूटी बातें बहुत शानदार करता है

सुकून रूह का मेरी मिटा दिया,उस पर

ये उसका दावा है,मुझसे वो प्यार करता है

लहू का प्यासा हुआ है ग़ज़ब का  ये इंसाँ 

कि दिल के रिश्ते भी अब तार तार करता है

नहीं है मुल्क में महफूज़ अब कोई बेटी

कि घर का वहशी ही उसका शिकार करता है

--

ये आपकी ग़ज़ल हो गई,तीसरे शैर का क़ाफिया ठीक नहीं,काट दिया,इसके अरकान हैं:-

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212      1122    1212       22

Comment by Samar kabeer on November 25, 2018 at 5:07pm

इस ग़ज़ल पर पुनः आता हूँ ।

Comment by क़मर जौनपुरी on November 25, 2018 at 1:20pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राहुल डांगी साहब। आपके सुझाव पर ग़ौर करते हुए मैं पुनः कोशिश करूँगा।

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 25, 2018 at 12:35pm

बहुत सुन्दर भाव पिरोये है जनाब कमर साहब,  हार्दिक बधाई 

तीसरा व चौथा शे'र में बह्र कुछ लडखडा रही है,  क्रपया देख लिजिएगा ।

पांचवें शे'र में गजब का अब इंसा,  यह मिसरा आपकी थोडी मेहनत और मांग रहा है शायद 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 24, 2018 at 9:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब नरेन्द्रसिंह चौहान जी हौसला आफ़ज़ाई के लिए।

Comment by narendrasinh chauhan on November 24, 2018 at 3:08pm

बहोत सुन्दर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service