For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल -6 ( चल गया जादू सभी अंधे औ बहरे हो गए)

2122 2122 2122 212

चल गया जादू सभी अंधे औ बहरे हो गए
ज़ालिमों के ज़ुल्म के दिन अब सुनहरे हो गए //१

था किया वादा बनाएगा महल सपनों का वो
यूँ किया उसने कि गड्ढे और गहरे हो गए //२

चुप है हाकिम चुप है मुंसिफ चुप है ये सारा जहाँ
मुजरिमों की लिस्ट में मासूम चेहरे हो गए //३

हाथ में अब आ गया है ज़ालिमों के वो हुनर
राम हारे रावणों के अब दशहरे हो गए //४

झूठ बोले हर सभा में और पा जाए सनद
सच जो बोले उस ज़ुबाँ पे सख़्त पहरे हो गए //५

-- क़मर जौनपुरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2018 at 4:02pm

आ. भाई कमर जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Vivek Raj on November 21, 2018 at 8:00pm

जनाब क़मर साहब अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कुबूल फरमाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2018 at 11:08am

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है क़मर साहब दाद स्वीकारें 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 21, 2018 at 7:57am

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब। इस्लाह के मुताबिक सुधार कर लिया गया है। हमेशा नवाज़िश बनाये रखें।

Comment by Samar kabeer on November 20, 2018 at 12:04pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

यूँ किया फितरत कि गड्ढे और गहरे हो गए'

इस मिसरे में 'फ़ितरत'शब्द मुनासिब नहीं,इस मिसरे को यूँ कर लें :-

' यूँ किया उसने कि गड्ढे और गहरे हो गए'

' चुप है हाकिम चुप है मुंसिफ चुप है सारा ये जहाँ'

इस मिसरे को यूँ करलें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'चुप है हाकिम,चुप है मुंसिफ़, चुप है ये सारा जहाँ'

Comment by क़मर जौनपुरी on November 20, 2018 at 10:42am

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब तेज वीर सिंह जी हौसला आफ़ज़ाई के लिए।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 20, 2018 at 10:38am

हार्दिक बधाई आदरणीय कमर जौनपुरी जी। बेहतरीन गज़ल।

चुप है हाकिम चुप है मुंसिफ चुप है सारा ये जहाँ
मुजरिमों की लिस्ट में मासूम चेहरे हो गए //३

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service