For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेकर आये

हैं जुगाड़ से,

रंग-बिरंगे झंडे

सजा रहे

हर जगह दुकानें,

राजनीति के पंडे

 

खंडित जन

विश्वास हो रहा

संबंधों का

ह्रास हो रहा

जंगल, दंगल की

भाषा का,

अद्भुत यहाँ विकास हो रहा

 

अब वादों

की फसलें होंगी,

मुर्गे देंगे अंडे

 

दुख को

देश निकाला देंगे

सुख का

रोज निवाला देंगे

सर्दी में

चिंता मत करना,

सबको एक दुशाला देंगें  

 

रोज नई

चौपाल

सजेगी,

संडे हो या मंडे

 

शेर सभी का

काज करेंगे

गीदड़ जी

अब राज करेंगे

चिंता तू

बिलकुल मत करना,

जो करना है आज करेंगे  

 

मत देने तक

मत होने दे,

अरमानों को ठंडे

 

कोई मतलब

नहीं फाग से

पाएँ कुर्सी

गुणा भाग से

चूल्हा जले,

चिता जल जाए

उन्हें खेलना रोज आग से

 

शकुनि

खोज कर  

ले आते हैं,

सूखी लकड़ी कंडे

 "मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 19, 2019 at 9:24am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमस्कार , आपकी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 19, 2019 at 9:23am

आदरणीय समर कबीर  प्रभात , आपकी परीक्षा  पास हुआ गीत,  अच्छा लगा,  दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 19, 2019 at 9:22am

आदरणीय  फूल सिंह जी सादर नमस्कार , आपको रचना पसंद आई, आपका हृदय से आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 19, 2019 at 7:25am

आ. भाई बसंत जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on April 16, 2019 at 2:43pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छा नवगीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by PHOOL SINGH on April 15, 2019 at 5:10pm

खंडित जन

विश्वास हो रहा

संबंधों का

ह्रास हो रहा

जंगल, दंगल की

भाषा का,

अद्भुत यहाँ विकास हो रहा

 

अब वादों

की फसलें होंगी,

मुर्गे देंगे अंडे

बहुत सुंदर बधाई स्वीकारे|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service