For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तूलिकायें (लघुकथा) :

नयी सदी अपना एक चौथाई हिस्सा पूरा करने जा रही थी। तेज़ी से बदलती दुनिया के साथ मुल्क का लोकतंत्र भी मज़बूत होते हुए भी अच्छे-बुरे रंगों से सराबोर हो रहा था। काग़ज़ों और भाषणों में भले ही लोकतंत्र को परिपक्व कहा गया हो, लेकिन लोकतंत्र के महापर्व 'आम-चुनावों' के दौरान राजनीतिक बड़बोलेपन के दौर में यह भी कहा जा रहा था कि अमुक धर्म ख़तरे में है या अपना लोकतंत्र ही नहीं, मुल्क का नक्शा भी ख़तरे में है! कोई किसी बड़े नेता, साधु-संत, उद्योगपति, धर्म-गुरु या देशभक्त को चौड़ी छाती वाला इकलौता 'शेर' कह रहा था, तो किसी को गीदड़, कुत्ता, बंदर, देशद्रोही या कठपुतली! कोई किसी अभिनेत्री या राजनेत्री को 'शेरनी' कह रहा था; तो कोई किसी मुंहफट साधवी या बुरकाधारिणी को!


तकनीकों, डिजीटलीकरण, आतंक, प्रदूषण, जनसंख्या या बेरोज़गारी की बेइंतहा तरक़्क़ी के दौर में मुल्क की युवा और बाल-पीढ़ी सुविधाओं, घोषणाओं या योजनाओं से घिरे होने के बावजूद दुविधाओं से परेशान थी।


मीडिया से अपडेटिड रहते हुए इक बेचारा हार कर वापस पुराणों, वेदों, धर्म-ग्रंथों का सरसरी तौर पर अध्ययन करने के बाद अपने कक्ष में बैठा हुआ अब स्वामी विवेकानंद जी के उपदेश पढ़ने लगा।


कुछ देर बाद पता नहीं उसे क्या सूझा! खड़ा हुआ। अपनी अक़्ल के ताले खुलने पर अपनी शक्ल आइने में देखने लगा। बस, फिर क्या था! ख़ुशी से उछल कर अपने आप से ही, किंतु चिल्ला कर बोला, "मैं ही तो शेर हूँ न!"


उसने वापस अपनी टेबल तक जाकर स्वामी विवेकानंद जी के उपदेशों की वह पुस्तक उठाई और आइने के सामने फिर खड़ा हो गया। उसे लगा कि उस पुस्तक रूपी तूलिका ने उसका असली चित्र उसे दिखा दिया हो; एकदम चौड़ी छाती वाला बब्बर शेर!"


वह मुल्क का, विशाल लोकतंत्र का आम नागरिक था; युवा था; मतदाता था!


"सारी शक्ति तुम में ही निहित है! अकेले हो, तो क्या हुआ! उठो; जागो; आगे बढ़ो; अपनी शक्ति को पहचानो और बाधाओं या फल की चिंता किये बिना भले कर्म में सदैव संलग्न रहो!" स्वामी विवेकानंद जी के उपदेशों के कुछ ऐसे ही शब्दों के रंग उसके असली चित्र को उसके मन-मस्तिष्क में चित्रित कर रहे थे, उसमें नवीन जोश के रंग भर रहे थे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 30, 2019 at 6:43pm

आदाब। मेरी इस रचना पर भी समय देकर अपनी राय से अवगत कराने और मुझे यूं प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया नीता कसार साहिबा।

Comment by Nita Kasar on April 22, 2019 at 4:20pm

ऐसी ही निम्न स्तर की बयानबाज़ी ने राजनीति का चेहरा ही बदल दिया है।मतदाता ही देश का भविष्य निर्माण करते है।संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० शेख़  शहज़ाद  उस्मानी जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 22, 2019 at 4:08pm

आदाब। मेरे इस रचना पटल पर भी अपना अमूल्य समय देने, मुझे प्रोत्साहित करने हेतु बहुत -बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहिब और.जनाब सलीम रज़ा रेवा साहिब।

Comment by SALIM RAZA REWA on April 18, 2019 at 9:47pm
वाह वाह बहुत ख़ूब मुबारकबाद जनाब उस्मानी साहब
Comment by Samar kabeer on April 17, 2019 at 6:01pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service