For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खिजाँ ने गुलशनों में दर्द यूँ बिखेरे हैं (३४ )

खिजाँ ने गुलशनों में दर्द यूँ बिखेरे हैं 
चमन के बागबाँ के बच्चे आज भूखे हैं 
**
बहार तुझ पे है दारोमदार अब सारा 
कि फूल कितने चमन में ख़ुशी के खिलते हैं 
**
अजीब शय है तरक़्क़ी भी लोग जिस के लिए 
ज़मीर बेच के ईमान बेच देते हैं 
**
क़ुबूल कर ली खुदा ने हर इक दुआ जब भी 
दुआ में ग़ैर की खातिर ये हाथ उट्ठे हैं 
**
नहीं है कोई अगर आप के ख़यालों में 
तो इंतज़ार में क्यों चश्म के दरीचे हैं 
**
वो शख़्स काम को अंज़ाम किस तरह देगा 
जिसे न ठीक से आगाज़ के सलीके हैं 
**
किताब-ए-दिल को न पढ़ने का आज दावा कर 
घिसे हैं लफ़्ज़ कहीं और कोरे पन्ने हैं 
**
अजीब खेल है भगवान तेरी क़ुदरत का 
कि जा-ब-जा तेरे दीदार पर भी पहरे हैं 
**
'तुरंत ' अब न ज़माना है चिलमनों में रहें 
हमारी बेटियाँ भी कम नहीं किसी से हैं 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 364

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 5, 2019 at 10:19pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब | आदाब ,आपकी हौसला आफ्जाई के लिए दिली शुक्रिया | आपने सही फ़रमाया दो बार बेच का प्रयोग मुझे भी खटक रहा था लेकिन कुछ सुझा नहीं | आपने समस्या हल कर दी | 

Comment by Samar kabeer on March 5, 2019 at 3:51pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'ज़मीर बेच के ईमान बेच देते हैं'

इस मिसरे में 'बेच' शब्द दो बार खटकता है,आप चाहें तो यूँ कर सकते हैं:-

'यहाँ पे देखिये ईमान बेच देते हैं'

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 5, 2019 at 2:28pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा  जी ,

आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। हार्दिक आभार। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 5, 2019 at 2:22pm

आदरणीय गहलोत जी सादर नमन! हार्दिक बधाई स्वीकारें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service