For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122

.
गांव भी अब तो शहर बनने लगा है
प्यार औ सद्भाव भी घटने लगा है

खुल गई है खूब शिक्षा की दुकानें
ज्ञान भी अब दाम पर बिकने लगा है

हो गये है लोग बैरी अब यहां भी
खून सड़कों पर बहुत बहने लगा है

गांव के हर मोड़ पर टकराव है अब
खेत औ खलियान तक जलने लगा है

सोच ’‘मेठानी‘’ हुआ है, क्या यहां पर
जो कभी बोया वही उगने लगा है


( मौलिक एवं अप्रकाशित )
- दयाराम मेठानी

Views: 1211

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 28, 2019 at 10:29am

क़वाफ़ी का ये मूल सिद्धांत याद रखें ।

हर क़ाफिये के पहले हर्फ़-ए-रवी होता है,हर्फ़-ए-रवी कहते हैं क़ाफिये के पहले बार बार आने वाले हर्फ़(अक्षर) को,यहाँ आपका क़ाफ़िया 'ने' है और उसके पहले आने वाला अक्षर कभी 'न',कभी 'ट' हो रहा है,मान लीजिए आपने क़ाफ़िया लिया 'बहने'अब इसमें 'ने'क़ाफ़िया हुआ और उसका हर्फ़-ए-रवी 'ह' हुआ,अब आगे आपको 'रहने','सहने',कहने क़वाफ़ी लेना होंगे,उम्मीद है आप समझ गए होंगे ?

Comment by Dayaram Methani on January 27, 2019 at 11:22pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी, प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।

Comment by Dayaram Methani on January 27, 2019 at 11:22pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, प्रोत्साहन देने एवं काफिया के बारे जानकारी देने के लिए बहुत बहुत आभार।

Comment by Dayaram Methani on January 27, 2019 at 11:20pm

आदरणीय दिगंबर नासवा जी, प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।

दयाराम मेठानी

Comment by दिगंबर नासवा on January 27, 2019 at 7:35pm

अच्छा प्रयास है ग़ज़ल का दयाराम जी .... काफिये की जानकारी उस्तादों द्वारा ... इस बात का हमें भी इंतज़ार रहेगा ... 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 27, 2019 at 7:05pm

जनाब दया राम साहिब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है मगर क़ा फिए चुन ने में चूक हो गई है, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l औ को पूरा और लिखिए   हर शेर का क़ा फिया अलग है l

बनने, घटने , बिकने, जलने, बहने, उगने

हम क़ा फिया __घटने, पटने, रटने

                        जलने , चलने, पलने  , बदलने 

                        बहने, कहने, सहने, रहने

मेरे ख़याल से समझ में आ गया होगा l

Comment by Ravi Shukla on January 26, 2019 at 10:08pm

आदरणीय दयाराम जी मिठाई साहब गजल की कोशिश अच्छी है मुबारकबाद कुबूल करें मत लेने बढ़ने और घटने शब्द लिया है ने हटाने के बाद बंद और घट बसता है जिसमें कि तुकांत नहीं है शायद ऐसा कुछ हो सकता है विस्तार से समर साहब बताएंगे उर्दू में शह्र 21 के वज़्न में लिया जाता है आपने 12 में लिया है यह बहस का विषय है इसलिए अधिक नहीं नहीं करेंगे आपने और को हिंदी छंदों के रीतिकालीन भक्ति कालीन युग के नुसार औ रूप में इस्तेमाल किया है उर्दू में और को पूरा लिखें और यह मात्रा गिरा कर (अर) के रूप में द्विमात्रिक  किया जा सकता है। सादर

Comment by Dayaram Methani on January 25, 2019 at 11:09pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी। मार्ग दर्शान की प्रतीक्षा रहेगी। सादर।

Comment by Samar kabeer on January 25, 2019 at 10:19pm

अभी ओबीओ के तरही मुशायरे में व्यस्त हूँ, समय मिलते ही विस्तार से बताऊंगा ।

Comment by Dayaram Methani on January 25, 2019 at 7:58pm

आदरणीय समर कबीर साहब, प्रोत्साहन हेतु आभार। काफिया की कमी बाबत कुछ स्पष्ट लिख दें तो उचित होगा। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। दोष होना तो…"
27 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगाआदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।*दोष…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
7 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service