For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'बढ़ते क़दम' (संस्मरण/संवादात्मक शैली में)

"क्या कर रहे हो, गुड्डू अब तुम यहां? तुमने नई डिक्शनरी की पैकिंग आज भी नहीं खोली! कब से पढ़ना शुरू करोगे, बेटे?"
"नहीं पापा, मैं नहीं पढ़ूंगा! मैंने दिल्ली में ही पिछले विश्व पुस्तक मेले में कह दिया था कि ख़रीदो, तो मेरे पक्के दोस्त के लिए भी ख़रीदो!"
"बेटे, मैंने वैसे भी पांच हज़ार रुपए की पुस्तकें ख़रीद लीं थीं, इसलिए केवल तुम भाई-बहन के लिए ही दो डिक्शनरियां ख़रीदीं थीं। वहां तुम्हारे लिए भी तो कुछ ख़रीदना था दिल्ली के बाज़ार से!"
"कुछ भी हो, मेरे दोस्त को बहुत बुरा लगा है। मुझे नहीं पढ़नी इतनी मोटी और बड़ी डिक्शनरी! हमारी अंग्रेज़ी की टीचर हर रोज़ ढेर सारे वर्ड-मीनिंग सिखाती ही हैं न!"
"अच्छा, तो ये बताओ पिछली जनवरी वाले विश्व पुस्तक मेले से तुम बच्चों के लिए जो कहानियों वाली और 'इस्लामिक दुआओं वाली कहानी संग्रह' पुस्तक लाये थे, वे पढ़ रहे हो न!"
"हां, वे तो तक़रीबन पूरी पढ़ लीं हैं! अम्मी ने चार-पांच अरबी-दुआयें और उन पर आधारित अंग्रेज़ी में कहानियां भी मुझे और बाजीजान को याद करवा दीं हैं। अब मैं मदरसे में सब बच्चों को और हाफ़िज़ साहिब को भी सुनाऊंगा और पढ़वाउंगा!"
"बहुत बढ़िया! ऐसी चीज़ें वाक़ई हमें सब के साथ साझा करनी चाहिए।"
"पापा, आप अपने लिए लघुकथा वाले जितने भी 'पड़ाव और पड़ताल' के अंक, लघुकथा संकलन, परिंदे पूछते हैं, आसपास से गुजरते हुए, सहोदरी लघुकथा संकलन, ग़ज़ल सिखाने वालीऔर काव्य-छंद सिखाने वाली न जाने कितनी सारी क़िताबें सूटकेस में भरकर लाए थे, सब पढ़ लीं क्या?"
"बेटा, पढ़ता जा रहा हूं एक-एक करके! समय कहां मिल पाता है?"
"सब बच्चों के पापा आजकल यही कह कर टालामटोली करते हैं! आपके पास तो न मेरे लिए टाइम है, न मम्मी के लिए! सोशल मीडिया और 'ओपनबुक्सऑनलाइनडॉटकॉम-साहित्यिकवेबसाइट' में दिमाग़ खपाते रहते हो! जमकर ट्यूशन भी नहीं करते और अंग्रेज़ी के टीचर्स की तरह!"
"बेटा, ऐसा पैसा मुझे नहीं कमाना कि शिक्षा सिर्फ़ व्यवसाय बन जाये! ख़ैर तुम बताओ इस बार के विश्व पुस्तक मेले में मेरे साथ चलोगे या मैं अकेले चला जाऊं? सुना है इस बार की थीम दिव्यांग पाठकों पर है और महात्मा गांधीजी पर भी कोई बढ़िया स्टॉल लगी है वहां। टिकट भी सस्ते हुए हैं शायद!"
"नहीं, मैं नहीं जाउंगा, मुझे ढेर सारे विंटर असाइनमेंट्स पूरे करने हैं और प्रि-बोर्ड परीक्षा की तैयारी भी करनी है! चारों ट्यूशनों का भी नुकसान होगा न! ... और सुनो दादाजान चाहते हैं कि आप भी दिल्ली मत जाओ; मेरी परीक्षा की तैयारी करवाओ! अभी-अभी क़िश्तों पर फ़्लैट ख़रीदा है, कुछ तो ख़र्च बचाने होंगे न!"
"हां, बिल्कुल सही कहती हैं, तुम्हारे दादाजान और तुम्हारी अम्मीजान भी!"
"पापाजी, दादाजान तो यह भी पूछ रहे थे कि आपको सोशल मीडिया पर लघुकथाएं लिखने के पैसे भी मिलते हैं या सिर्फ़ पैसा फ़ालतू बरबाद कर संकलनों में लघुकथाएं, कविताएं वग़ैरह आप छपवाते जा रहे हैं!"
"बेटा, अभी तो मैं सीख रहा हूं फ़्री की ट्यूशनें हैं वे सब ऑनलाइन वाली! क़िताब में छपवाने से एक जगह सारी मिहनत हिफ़ाज़त के साथ इकट्ठी हो जाती है, इसलिए साझा ख़र्चे पर संकलन प्रकाशित कराये जाते हैं। सोशल मीडिया समूहों के एडमिन्स और संकलनों के सम्पादक-प्रकाशक वग़ैरह तो मेरे गॉडफ़ादर्स या गॉडमदर्स हैं, गुड्डू बेटा! उनसे मिलने वाली हौसला अफ़ज़ाई से और मार्गदर्शन से ही तो सन 2018 में मैंने ढेर सारी लघुकथाएं और हाइकु, वर्ण-पिरामिड-लघु-काव्य और अतुकान्त या कुछ छंदाधारित काव्य रचनाएं लिख डालीं, बेटा! उनमें से कुछ, बच्चों वाली तुम्हें भी तो पढ़वाईं थीं न!"
"मुझे नहीं समझ में आतीं आपकी रचनाएं! कुछ अंग्रेज़ी में लिखो तो समझ में आये और मज़ा भी आये! पढ़ूं और दोस्तों को भी पढ़वाऊं! घर में सभी यही कहते हैं कि ज़माने के साथ चलो! पैसा है, तो सब कुछ है! आपको अब मेरे करिअर के बारे में ज़्यादा सोचना चाहिए!"
"बेटा, मैं तुम्हारे करिअर के लिए इस नये साल में पहले से अधिक वक़्त दूंगा, वादा करता हूं!"
"पापाजी एक बात कहनी थी आपसे!"
"क्या? बोलो?"
"पिछले विश्व पुस्तक मेले में जो ओमप्रकाश क्षत्रीय अंकल, रवि यादव अंकल, योगराज प्रभाकर अंकल, अशोक भाटिया अंकल, कपिल शास्त्री अंकल, मधुदीप अंकल, जानकी वाही आंटी, कांता राय आंटी, चित्रा राघव आंटी, विभा रश्मि आंटी, वीरेंद्र वीर अंकल और जाने कितने लोगों से मिलवाया था आपने, उनमें से कोई भी बच्चों के लिए अंग्रेज़ी में लघुकथाएं या कविताएं नहीं लिखता क्या?"
"सुना तो नहीं है अब तक। यह ज़रूर पता है कि मधुदीप गुप्ता सर की लघुकथाएं अंग्रेज़ी में ट्रांसलेट होकर पुस्तक में छप चुकी हैं और वह पुस्तक इस बार के विश्व पुस्तक मेले में ख़रीदी जा सकती है। इस बार तो उनकी स्टॉल पश्र काफ़ी डिस्काउंट भी मिल रहा है। लेकिन बच्चों के लिए लघुकथाएं अंग्रेज़ी में शायद अभी कोई नहीं लिख रहा। तुम कहो तो बाल-साहित्यकारों की कहानियों की क़िताबें ऑनलाइन मंगवा दूं!"
"न बाबा, माफ़ करो! घर के लोग फ़िर मुझे भी पागल-सनकी फिज़ूलख़र्चीला कहने लगेंगे न! कोई बात नहीं, मैं अंग्रेज़ी में कहानियां और गाने मोबाइल पर ऑनलाइन सुन लेता हूं, पापा!"
"लेकिन बेटा, चूंकि तुम्हारे सभी टीचर्स तुम्हारे हिंदी-अंग्रेज़ी भाषा-कौशल और पाठ्येतर गतिविधि-प्रतिभा की तारीफ़ करते हैं न, तो मुझे लगता है कि तुम्हें, अंग्रेज़ी के अलावा हिंदी और उर्दू भाषा-कौशल विकास भी करना चाहिए। बहुत ज़रूरी है व्यक्तित्व विकास के लिए!"
"सब करूंगा पापा! जस्ट वेट! आपका बेटा चन भाषाओं पर भी अपना कमांड बढ़ायेगा, गॉड प्रोमिस! अभी ज़रा पढ़ाई का लोड बहुत ज़्यादा है न!"
"ओके! आजकल के बच्चों की परेशानियां और उलझने हम समझते हैं बेटे!"
"तो अब लिख डालो उन पर भी लघुकथायें या अतुकान्त वग़ैरह! वैसे भी आपको नये कथानक, नई थीम लपक कर पकड़ने की आदत है! ये मैं नहीं कह रहा 2018 के पुस्तक मेले में मिली एक आंटी कह रहीं थीं आपके बारे में!"
"तो वहां तुम इतने ग़ौर से सब बातें सुन रहे थे! इसी तरह अपने शिक्षकों और बड़ों की अच्छी बातें ध्यान से सुना करो और उन पर अमल करो! अच्छा, अब तुम्हारी अगली ट्यूशन का टाइम हो रहा है! तैयारी करो! मैं अपने स्कूल के बच्चों की टेस्ट नोट-बुक्स जांचने बैठता हूं अब!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 9, 2019 at 5:48am

मेरी इस रचना पर समय देकर अनुमोदन, शुभकामनाओं, विचार साझा और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'

साहिब और जनाब महेंद्र कुमार साहिब। 

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2019 at 8:26pm

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. बेहद ख़ुशी हुई आपका यह संस्मरण पढ़ कर. मेरी दुआ है कि ईश्वर आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करे. मेरी तरफ़ से दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:09am

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया संस्मरण लिखा आपने, पीढ़ियों के वैचारिक विभिन्नता को बढ़िया जगह दी आपने। कुछ रोचक तथ्य भी संवादों में आये। बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service