For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122


दिया आप ने था हमें जो सिला कुछ ।
बड़ा फैसला हमको लेना पड़ा कुछ ।।

कहा किसने अब तक नहीं है जला कुछ ।
धुंआ रफ़्ता रफ़्ता है घर से उठा कुछ ।।

बहुत हो चुकी अब यहाँ जुमले बाजी ।
तुम्हारे मुख़ालिफ़ चली है हवा कुछ ।।

बहुत दिन से ख़ामोश दिखता है मंजर ।
कई दिल हैं टूटे हुआ हादसा कुछ ।।

कदम मंजिलों की तरफ बढ़ गए जब ।
तो अब पीछे मुड़कर है क्या देखना कुछ।।

मेरा ऐब सबको बताने से पहले ।
जरा देखिए आप भी आइना कुछ।।

मेरे कत्ल पर तो उँगलियाँ उठेंगी ।
करें इत्तला सबको मेरी ख़ता कुछ ।।

करेंगे यकीं कब तलक लोग तुम पर ।
मिला ज़ख़्म तुमसे कई मर्तबा कुछ ।।

ज़माने की नजरें ख़फ़ा सी लगीं तब ।
तेरी शाख पर जब भी चर्चा हुआ कुछ।।

यहां छीन कर ही मिला है कोई हक ।
करो जंग हो गर बचा हौसला कुछ ।।

तुम्हारे ये हालात बदले न होते ।
अगर याद करते हमारी वफ़ा कुछ ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 10, 2018 at 1:45pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी. सुन्दर गज़ल. सादर. 

Comment by narendrasinh chauhan on December 10, 2018 at 12:15pm

 बधाई आदरणीय नवीनजी।खूब सुन्दर  गज़ल।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 9, 2018 at 10:11pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब तहे दिल से बहुत बहुत आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 9, 2018 at 10:10pm

आ0 कबीर सर सादर नमन । महत्व पूर्ण इस्लाह के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 9, 2018 at 12:28pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

बहुत हो चुकी अब यहाँ जुमले बाजी ।
तुम्हारे मुख़ालिफ़ चली है हवा कुछ ।।

Comment by Samar kabeer on December 9, 2018 at 10:53am

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'  मेरे कत्ल पर तो उँगलियाँ उठेंगी'

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'मेरे क़त्ल पर उंगलियाँ तो उठेंगी'

Comment by राज़ नवादवी on December 8, 2018 at 10:08pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, आदाब, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे हार्दिक बधाई. सादर. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2018 at 7:38pm

आ. भाई नवीन मणि जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service