For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा क़ातिल तो मेरा रहनुमा है

1222 1222 122


खतों का चल रहा जो सिलसिला है ।
मेरी उल्फ़त की शायद इब्तिदा है ।।

यहाँ खामोशियों में शोर जिंदा ।
गमे इज़हार पर पहरा लगा है ।।

छुपा बैठे वो दिल की आग कैसे।
धुंआ घर से जहाँ शब भर उठा है ।।

नही समझा तुझे ऐ जिंदगी मैं ।
तू कोई जश्न है या हादसा है ।।

मिला है बावफा वह शख़्स मुझको ।
कहा जिसको गया था बेवफा है ।।

ज़माने को दिखी है ख़ासियत कुछ ।
तुम्हारे हुस्न पर चर्चा हुआ है ।।

मुआफ़ी  तो  खुदा  ही देगा उनको  ।
हमारा दिल कहाँ इतना बड़ा है ।।

ज़रूरत पर मिलेंगे हँस के वरना ।
यहां हर शख्स का लहज़ा बुरा है ।।

अजब मजबूरियाँ हैं पेट की भी ।
तभी तो आदमी इतना गिरा है ।।

वहाँ कुछ सोच कर सच बोलना तुम ।
जहाँ तोड़ा गया वह आइना है ।।

उठाओ उँगलियाँ मत दुश्मनों पर ।
मेरा क़ातिल तो मेरा रहनुमा है ।।

यूँ देकर ज़ख़्म फिर ये मुस्कुराना ।
तुम्हारे  जुल्म  की  ये इंतहा   है ।।

नवीन मणि त्रिपाठी-- मौलिक अप्रकाशित

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 11:05am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, सुन्दर ग़ज़ल की पेशकश पे दिली मुबारकबाद. सादर. 

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 30, 2018 at 12:24pm

आ0 सर सादर नमन । 

आपकी टिप्पणी पढ़ कर ही आभार व्यक्त किया । उसके बाद आपकी टिप्पणी ढूढ़ता रह गया मिली नहीं । तो मैंने समझा कि शायद आप कुछ ज्यादा इस्लाह देना चाहते होंगे इसलिए आपने टिप्पणी मिटा दी है । मेरी तरफ से टिप्पणी से कोई छेड़ छाड़ सम्भव ही नहीं है ।

Comment by Samar kabeer on November 28, 2018 at 11:09pm

मेरी टिप्पणी कहाँ गई भाई?

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 28, 2018 at 5:34pm

आदरणीय कबीर सर सादर नमन । पूर्णतया आपसे सहमत हूँ । ठीक करता हूँ सर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service