For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६४

2212 1212 2212 12

दिल क्या लगे किसी का जब कोई न काम हो
इससे भला तो ग़ैब के घर में क़याम हो //1

कोशिश तो कर कि मुफ़लिसी मेरी न आम हो
मेरे दिवारो दर पे भी कोई तो बाम हो //2

इतना तो मेरी ख़्वाहिशों का एहतराम हो
गर हो न मय जो हल्क़ में, हाथों में जाम हो //3

कब तक हवाओं के फ़क़त बिखराव में जिऊँ
मेरे लिए भी ऐ ख़ुदा कोई निज़ाम हो //4

लैलो निहारे दर्द से घबरा गया हूँ मैं
दिन हो अगरचे दुख भरा, सुख की तो शाम हो //5

यूँ ही करूँ ख़राब क्यों लिख लिख के मैं वरक़
शायर मिजाज़ी दी है तो, मेरा भी नाम हो //6

काटूँ मैं रात आदमी क्यों होके हिज्र में
क़ुर्बे बुताँ की आरज़ू क्योंकर हराम हो //7

कागज़ पे तेरे अक्स को पढ़कर मैं जान लूँ
कोरा वरक़ ही भेज गर कोरा पयाम हो //8

अख़्तर शुमारी के लिए शब है नही मेरी
इनआम मुझको इश्क़ में ऐसा हराम हो //9

उड़ उड़ के थक गया हूँ मैं फिक्रे हयात में
अस्पे ख़्याले रोज़ोशब पे भी लगाम हो //10

मिलती नहीं है ख़ल्क़ की नव्वाबी सबको यूँ
साहब है वो ख़ुदा का जो सच में गुलाम हो //11

रहने दे मुझको ऐ ख़ुदा लुत्फे ग़रीबी में
ख़्वाहाँ ए सल्तनत नहीं जो एहतेशाम हो //12

होगी न बात सिर्फ़ मेरे ही समाअ से
इतनी गरज़ तो हो कि तू भी बाक़लाम हो //13

देता है हुक़्म हाल मुझको हर घड़ी कि अब  
दुनिया से आगे के सफ़र का इंतज़ाम हो //14

परवरदिगार राज़ को बख़्शिश अता ये कर
रहलत के वक़्त लब पे उसके तेरा नाम हो //15

~राज़ नवादवी
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on November 4, 2018 at 10:46pm

आदरणीय अजय तिवारी जी, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Ajay Tiwari on November 3, 2018 at 6:43pm

आदरणीय राज़ साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है.हार्दिक बधाई.

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 12:48pm

आदरणीय बृजेश जी, ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 3, 2018 at 12:23pm

वाकई इतने अशआर सभी एक से बढ़कर एक...आदरणीय समर जी ने पाठकों की और से अच्छा सुझाव दिया है..

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 5:52am

आदरणीय तेजवीर सिंह साहब, आदाब. ग़ज़ल में  शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 5:51am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में  शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. आपकी इस्लाह का ख़याल रखूंगा. सादर. 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 2, 2018 at 10:49am

हार्दिक बधाई आदरणीय राज़ नवादवी जी। बेहतरीन गज़ल ।

होगी न बात सिर्फ़ मेरे ही समाअ से 
इतनी गरज़ तो हो कि तू भी बाक़लाम हो //13

Comment by Samar kabeer on November 1, 2018 at 2:41pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

सब मिलाकर 18 अशआर हो गए,जब इतने ज़ियादा अशआर कहें तो दो ग़ज़लों में बाँट दिया करें,पाठकों का इम्तिहान क्यों लेना ।

Comment by राज़ नवादवी on November 1, 2018 at 8:47am

कुछ शब्दों के हिंदी अर्थ

------------------------------

 

ग़ैब- अदृश्य लोक; क़याम- थोड़े दिनों का वास; हल्क- कंठ; निजाम- व्यवस्था; लैलो-निहार- रात दिन; वरक़- पृष्ठ, पन्ना; पयाम- ख़बर, सन्देश; अख्तर शुमारी- तारे गिनना; शब- रात; फिक्रे हयात- जीवन की चिंता; अस्पे ख़्याले रोज़ोशब- रातदिन विचारों के घोड़े; ख़्वाहाँ ए सल्तनत- साम्राज्य की आकांक्षा रखने वाला- एहतिशाम- शानो शौक़त, राजसी वैभव; समाअ- सुनना, श्रवण; बाक़लाम- क़लाम के साथ/ बोलता हुआ; हाल- वर्तमान; बख्शिश- वरदान; रहलत- मृत्यु;

Comment by राज़ नवादवी on November 1, 2018 at 8:34am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल पे इस्लाह देते वक़्त इन तीन नए अशआर पे भी नज़रे करम फ़रमाने की गुज़ारिश है. 

जीकर करेंगे क्या भला ज़िल्लत भरे ये दिन
होना है कल तो आज ही किस्सा तमाम हो

लफ़्ज़ों पे आके रह गई मेरी कहानियाँ
कोशिश तो थी ये तज़किरा मेरा दवाम हो

देते हैं दाद तो सभी महफ़िल में, है पता 
सुनकर न निकले वाह भी, ऐसा क़लाम हो 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ग़ज़ल  *****  इशारा भी  किसी को कारगर है  किसी से गुफ्तगू भी  बे असर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service