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मिलन-लघुकथा

चारो तरफ मची भगदड़ अब धीरे धीरे कम हो चली थी, बस घायल लोगों की चीखें ही चारो तरफ गूंज रही थीं. इस भयानक हादसे में सैकड़ों लोग मरे थे और उससे ज्यादा ही घायल थे. राहत में पहुंचे लोग मृत शरीरों को एक तरफ इकट्ठा कर रहे थे और घायलों को हस्पताल भेजने की तैयारी में भी जुटे थे.
पटरी के एक तरफ पड़े एक युवा के मृत शरीर को लोगों ने उठाकर एक तरफ कर दिया. कुछ ही देर बाद कुछ और लोग एक लड़की के मृत शरीर को भी वहीँ डाल गए. कुछ घंटे बीतते बीतते तमाम लाशें एक दूसरे से गड्डमड्ड पड़ीं थीं और लड़के का हाथ लड़की के हाथ में था.
ऊपर कहीं आसमान के किसी कोने में दोनों की आत्माएं बेहद सुकून महसूस कर रही थीं. लड़के की आत्मा ने मुस्कुराते हुए लड़की की आत्मा से कहा "ऊपरवाले ने तुम्हारी बात कितनी जल्दी सुन ली, कल ही तुम कह रही थी कि समाज अगर साथ जीने नहीं देता तो कम से कम साथ साथ मरने तो देगा. और देखो आज मरने के बाद तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है".
लड़की की आत्मा भी मुस्कुरायी और उसने लड़के की आत्मा का हाथ अपने हाथ में ले लिया. नीचे लाशों के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं, लड़के और लड़की के घर वाले हादसे के स्थल पर एक दूसरे से अलग बैठकर उनके मौत पर विलाप कर रहे थे.

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on October 29, 2018 at 1:07pm

बहुत बहुत आभार आ कल्पना भट्ट जी, शायद संजोग ही रहा होगा वर्ना यह लघुकथा कैसे जन्म लेती

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 25, 2018 at 11:48pm

मार्मिक लघुकथा हुई है आदरणीय विनय जी, हार्दिक बधाई आपको|  यह एक संजोग ही रहा होगा की लड़का और लड़की एक साथ मरे और उनकी लाशें एक साथ ही थी| सादर|

Comment by विनय कुमार on October 25, 2018 at 11:39am

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by विनय कुमार on October 25, 2018 at 11:39am

बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी

Comment by विनय कुमार on October 25, 2018 at 11:38am

बहुत बहुत आभार आ अर्पणा शर्मा जी

Comment by विनय कुमार on October 25, 2018 at 11:37am

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम मोहम्मद आरिफ साहब, आपकी विस्तृत टिपण्णी ने बहुत उत्साहवर्धन किया. सचमुच प्रेम ही सबसे ऊपर है, नफरत इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती है. इसी तरफ प्रोत्साहित करते रहिये, पुनः आभार

Comment by विनय कुमार on October 25, 2018 at 11:35am

बहुत बहुत आभार आ मिर्ज़ा जावेद बेग साहब, स्वागत है आपका लघुकथा के क्षेत्र में

Comment by TEJ VEER SINGH on October 25, 2018 at 9:10am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी। मार्मिक लघुकथा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 8:42am

आ. भाई विनय जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Arpana Sharma on October 25, 2018 at 12:04am

  अमृतसर के हालिया हादसे की पृष्ठभूमि को लेकर पिरोया कथानक मन को छू जाता है। 

उत्तम प्रयास की बधाई ।

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