For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 माँ  - लघुकथा -

"माँ, बापू ने तुम्हें क्यों छोड़ दिया था ?"

"गुड्डो , जब छोटी पेट में थी। तेरे बापू गर्भ गिरवाना चाहते थे। मैंने मना किया तो मुझे धक्के मार कर घर से निकाल दिया ।"

"मैंने तो सुना कि वे तो माँ दुर्गा के कट्टर भक्त थे।फिर एक देवी उपासक भ्रूण हत्या जैसा पाप और एक औरत का ऐसा अपमान कैसे कर सकता है?"

"अधिकतर अंध भक्त दोगली ज़िंदगी जीते हैं। इनकी कथनी  और करनी में बहुत फर्क होता है।"

"माँ, मौसी तो कह रही थी कि तुम काली थीं और सुंदर भी नहीं थी।इसलिये छोड़ा था।"

"हाँ यह तो सच है कि मेरा रंग साफ नहीं था। पर असली वज़ह तो कुछ और ही थी|"

"अच्छा चलो छोड़ो , यह बताओ , तुमने क्या माँगा माँ दुर्गा से?"

"बेटी, आज के युग में एक बेसहारा माँ के लिये, अपनी बेटियों की सुरक्षा और  सलामती की दुआ ही सबसे बढ़कर है।"

"क्या तुम्हें लगता है कि दुर्गा माँ तुम्हारी प्रार्थना क़ुबूल करके तुम्हारी इच्छा पूरी करेगी?"

"बेटी, ईश्वर से कुछ माँगना केवल एक आत्म संतोष और दिखावा है। समाज में सब देखा देखी यह करते हैं। पूर्ण रूप से आश्वस्त कोई नहीं है। केवल एक भरोसा है।"

"माँ, मेरी सहेली की माँ कहती है कि यदि माँ दुर्गा को नर बलि दी जाय तो वह मनोकामना अवश्य पूरी करती है।"

"तू क्या कहना चाहती है मेरी लाड़ो?"

"माँ, मैं कह रही हूँ कि यदि सचमुच ऐसा होता है तो तुम मेरी बलि दे दो। मेरी चिंता भी खत्म और तुम्हारी और छोटी  की सुखी होने की मनोकामना भी पूर्ण होगी।"

"ना मेरी बच्ची, भूल से भी ऐसी बात मुँह से मत निकालना |अगर ऐसा कुछ भी होने की रत्ती भर भी गुंजाइश होगी तो सबसे पहले मैं अपनी बलि दूँगी |"

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:25am

हार्दिक आभार आदरणीय मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:24am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Mirza Hafiz Baig on October 21, 2018 at 12:48pm

भाई तेजवीर सिंह जी,

बेहतरीन लघुकथा के लिये बधाई। आपने एकाधिक पंचेज़ का बखूबी इस्तेमाल किया जैसे- "अधिकतर अंधभक्त .... .... होता है।", "बेटी, ... ... बढ़्कर है।" या, "बेटी, ... ... एक भरोसा है।" आदि। "बेटी, ... ... एक भरोसा है।" में दर्द बखूबी उभर आता है। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 21, 2018 at 5:03am

शीर्षक सुझाव : "नई सदी की मां"

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 21, 2018 at 5:02am

बेहतरीन कथानक के साथ बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। अंतिम पंचपंक्ति हेतु सुझाव-अभ्यास :

//हम मां-बेटियों की बली की ज़रूरत नहीं बिटिया! मां दुर्गा हमारे  हौसले, सशक्तिकरण और त्याग की आकांक्षा रखती हैं इस सदी में!//

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service