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 माँ  - लघुकथा -

"माँ, बापू ने तुम्हें क्यों छोड़ दिया था ?"

"गुड्डो , जब छोटी पेट में थी। तेरे बापू गर्भ गिरवाना चाहते थे। मैंने मना किया तो मुझे धक्के मार कर घर से निकाल दिया ।"

"मैंने तो सुना कि वे तो माँ दुर्गा के कट्टर भक्त थे।फिर एक देवी उपासक भ्रूण हत्या जैसा पाप और एक औरत का ऐसा अपमान कैसे कर सकता है?"

"अधिकतर अंध भक्त दोगली ज़िंदगी जीते हैं। इनकी कथनी  और करनी में बहुत फर्क होता है।"

"माँ, मौसी तो कह रही थी कि तुम काली थीं और सुंदर भी नहीं थी।इसलिये छोड़ा था।"

"हाँ यह तो सच है कि मेरा रंग साफ नहीं था। पर असली वज़ह तो कुछ और ही थी|"

"अच्छा चलो छोड़ो , यह बताओ , तुमने क्या माँगा माँ दुर्गा से?"

"बेटी, आज के युग में एक बेसहारा माँ के लिये, अपनी बेटियों की सुरक्षा और  सलामती की दुआ ही सबसे बढ़कर है।"

"क्या तुम्हें लगता है कि दुर्गा माँ तुम्हारी प्रार्थना क़ुबूल करके तुम्हारी इच्छा पूरी करेगी?"

"बेटी, ईश्वर से कुछ माँगना केवल एक आत्म संतोष और दिखावा है। समाज में सब देखा देखी यह करते हैं। पूर्ण रूप से आश्वस्त कोई नहीं है। केवल एक भरोसा है।"

"माँ, मेरी सहेली की माँ कहती है कि यदि माँ दुर्गा को नर बलि दी जाय तो वह मनोकामना अवश्य पूरी करती है।"

"तू क्या कहना चाहती है मेरी लाड़ो?"

"माँ, मैं कह रही हूँ कि यदि सचमुच ऐसा होता है तो तुम मेरी बलि दे दो। मेरी चिंता भी खत्म और तुम्हारी और छोटी  की सुखी होने की मनोकामना भी पूर्ण होगी।"

"ना मेरी बच्ची, भूल से भी ऐसी बात मुँह से मत निकालना |अगर ऐसा कुछ भी होने की रत्ती भर भी गुंजाइश होगी तो सबसे पहले मैं अपनी बलि दूँगी |"

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:25am

हार्दिक आभार आदरणीय मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:24am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Mirza Hafiz Baig on October 21, 2018 at 12:48pm

भाई तेजवीर सिंह जी,

बेहतरीन लघुकथा के लिये बधाई। आपने एकाधिक पंचेज़ का बखूबी इस्तेमाल किया जैसे- "अधिकतर अंधभक्त .... .... होता है।", "बेटी, ... ... बढ़्कर है।" या, "बेटी, ... ... एक भरोसा है।" आदि। "बेटी, ... ... एक भरोसा है।" में दर्द बखूबी उभर आता है। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 21, 2018 at 5:03am

शीर्षक सुझाव : "नई सदी की मां"

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 21, 2018 at 5:02am

बेहतरीन कथानक के साथ बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। अंतिम पंचपंक्ति हेतु सुझाव-अभ्यास :

//हम मां-बेटियों की बली की ज़रूरत नहीं बिटिया! मां दुर्गा हमारे  हौसले, सशक्तिकरण और त्याग की आकांक्षा रखती हैं इस सदी में!//

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