For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नॉर्थ, ईस्ट-वेस्ट और 'साउथ' (लघुकथा)

दिन- रविवार। शाम का समय। आसमान में छाये काले बादल। कभी हल्की, कभी तेज़ बरसात। आलीशान बंगले के एक अध्ययन-कक्ष में टेबल पर ग्लोब, एटलस, लैपटॉप, प्रिंटर, कुछ पुस्तकें और स्टेशनरी। कुर्सियों पर क्रमशः बारहवीं कक्षा के मित्र सहपाठी। पहला, कसी हुई जीन्स पहने, कसी हुई स्लीवलैस टी-शर्ट से हृष्ट-पुष्टता दर्शाता स्टाइलिश और दूसरी अत्याधुनिक शॉर्ट्स पहने जवानी की दहलीज़ के सौंदर्य को उभारती चंचल बातूनी सहेली, जिसकी 'मॉम' बड़ी प्रसन्न हैं अपनी बिटिया को स्कूल-प्रोजेक्ट-वर्क हेतु उसके प्रिय मित्र के साथ संयुक्त-अध्ययन करते हुए देख कर। तभी सहपाठियों के मध्य मधुर वार्तालाप शुरू :


"नॉर्थ और ईस्ट-वेस्ट में भयंकर बाढ़ आई हुई है!" लड़के ने अपने होठों पर उंगली फेरते हुए टेबल पर रखे ग्लोब को घुमाकर कहा।


"लेकिन रैस्क्यू ऑपरेशन्स सख़्ती के साथ जारी हैं!" अपनी पीठ सीधी कर लड़की ने बड़े आत्मविश्वास से मित्र का मुआयना करते हुए कहा - "पर्वतों पर बहार भी है, लेकिन कहीं-कहीं 'लैंड-स्लाइड्स' भी हो रहे हैं!"


लड़के ने लैपटॉप पर प्रोजेक्ट हेतु चयनित कुछ चित्रों पर प्रिंट कमांड देते हुए कहा "यहां तो साउथ में कहीं भयानक बाढ़, तो कहीं भयंकर आग लगी हुई है! जंगल हताहत हैं!"


"यहां भी तो!" लड़की ने ज़ालिम मुस्कान के साथ कहते हुए लैपटॉप पर बरसात का एक गरम वैस्टर्न गीत चलाकर चारों कानों में ईअर-फोन सेट कर दिये।


तभी देह-दर्शनीय फैशनेबल गाऊन पहने आई सुंदर मॉम ने 'अध्ययन' को बाधित करते हुए कहा - "कहो तो कुछ पकोड़े तल कर लाऊं; सारी तैयारी है!"


"नहीं मम्मा, 'चाय-पकोड़े' की राजनीति और मेजबानी इसे बिल्कुल पसंद नहीं!" बिटिया ने अपनी भौहें सिकोड़ते हुए कहा।


"मैं बर्गर-पिज़्ज़ा वग़ैरह पैक करा कर लाया हूं, इसे भी बहुत पसंद हैं! आप तो केवल कुछ प्लैट्स , फॉर्क्स और चम्मच यहां रख जाइये, बस!" मॉम की ओर शैतानी मुस्कान के साथ देखते हुए, अपना फैशनेबल बहुउद्देश्यीय बैग खोलते हुए लड़के ने कहा।


वापस ऊपर की ओर उठते समय सामने उभरे सौंदर्य पर उसकी नज़रें पड़ीं, तो लड़की स्टाइलिश शरमाई और मुस्करा कर बोली - "वही वाली पहनी है, जो तुमने बर्थ-डे पर गिफ़्ट की थी मुझे!"

मुस्कराहटों के आदान-प्रदान के साथ ही दोनों टेबल पर बर्गर-पिज़्ज़े का सेवन कर पुनः  'प्रोजेक्ट-फाइल्स' पर जुट चुके थे।


"बेटा, प्रोजेक्ट-वर्क पूरा हो गया क्या? ... पापा आते ही होंगे, बारिश रुक गई है; उसे अब घर भेजो!" किचन से पकोड़ों की ख़ुश्बू के साथ मॉम के स्वर 'अध्ययन-टेबल' तक पहुंचे।


"जी मम्मा, पूरा तो नहीं; पर काफी हो गया! बाक़ी कल इसके घर जाकर पूरा कर लूंगी!" लड़की ने मित्र की हथेली में अपनी हथेली फंसा कर कहा और फिर सामग्रियां समेटने लगी।


"ये बारिश तो थम गई! .. टाइम का पता ही न चला! 'काम वर्सिज मॉम'! रेस्क्यू ऑपरेशन सक्सेसफुल!" अपना बैग कंधे पर लटकाते हुए लड़के ने कहा - "अच्छा चलता हूंं! थैंक्यू वेरी मच! टेक केअर!"


"स्कूल से अच्छा यहां पर लगा न! यू आ सओ ग्रेट! .. कल मिलते हैं!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 508

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 7, 2018 at 8:04pm

रचना के मर्म/कथ्य/संदेश.. तक जाकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद और आभार आदरणीय समर कबीर साहिब और आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 5:57pm

अध्ययन  कार्य की आड़ में जो विद्यार्थियों के बीच वार्तालाप चलता हैं,रचना के माध्यम से दर्शाया।आगाह करती रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय शेख सरजी।

Comment by Samar kabeer on September 5, 2018 at 2:26pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
10 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
17 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service