For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'दो सितारों का मिलन' (लघुकथा)

"हैलो! आदाब! ठीक तो हैं न! कहां तक पहुंच गईं आप? ज़रा अपनी घड़ी साहिबा पर भी इक नज़र तो डालियेगा!" शायर 'राज़' साहिब ने साहित्यिक सम्मेलन परिसर के मुख्य द्वार पर अगली सिगरेट का अगला लम्बा कश लेते हुए मोबाइल फ़ोन पर एक बार में ये सवाल दाग़ दिये!


"आदाब राज़ साहिब! मैं वहीं हूं अपनी क़लम संग, जहां मुझे इस वक़्त होना चाहिए!" दूसरी तरफ़ से चिर-परिचित सुरीली आवाज़ में सोशल मीडिया की आभासी सहेली शायरा शबाना ने आश्चर्य-मिश्रित लहज़े में कहा - "माना कि आप घड़ी नहीं पहनते, लेकिन अपने मोबाइल पर मेरे मैसेज का मुक़र्रर वक़्त तो देख लिया होता!"


सुनकर राज़ साहिब ने फिर से मैसेज बॉक्स चैक किया और तुरंत बोले - "मुआफ़ कीजिएगा, आप से रूबरू मिलने के लिए इतना उतावला था कि केवल संदेश पर सरसरी तौर पर ही ग़ौर फ़रमाया; उसे भेजने का वक़्त और मिलने का दिया वक़्त देखे बग़ैर यहां गेट पर दो घंटों से आपका बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था!"


"शायरों को वक़्त के फिसलने का अहसास कहां हो पाता है राज़ साहिब। जज़्बात अशआर के अल्फ़ाज़ में फिसल कर तैर जाते हैं; वक़्त भले फिसल जाये, लेकिन सच्चा लगाव और मुहब्बत-ओ-अख़लाक़ नहीं फिसला करते! ख़ैर कोई बात नहीं, मेरा मैसेज आपने देर से पढ़ा। फिर कभी मुलाक़ात होगी, अगर अल्लाह ने चाहा!" मोबाइल फ़ोन पर दूसरी तरफ़ से शबाना जी की मधुर आवाज़ शायराना अंदाज़ में गूंज रही थी और इधर राज़ साहिब अभी भी मोबाइल के मैसेज बॉक्स में उनके भेजे संदेश और टाइम को देखकर मंद-मंद मुस्करा कर उंगलियों के बीच थमी अपनी सिगरेट को यूं झटका दे रहे थे, जैसे की समय उनको झटका देकर चला गया हो।


"नाम है 'शबाना' और इस 'शब' ख़ूबसूरत मुलाक़ात फिसल ही गई, वक़्त के साथ!" बड़बड़ाते से हुए वे अगली सिगरेट का अगला कश लेकर गुनगुनाने लगे - "वक़्त करता जो वफ़ाss, वक़्त पर आ गये होतेss...!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 15, 2018 at 8:23am

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब, जनाब समर कबीर साहिब,मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा, जनाब विजय निकोरे साहिब और जनाब  बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 5:42pm

बहुत खूब लघु कथा हुई आदरणीय..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 7:45pm

अब पछताए होत क्या जब ... मुहावरा याद आ गया लघु कथा पढके उस्मानी जी .बहुत खूब वाह्ह्ह्ह 

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 1:03pm

लघु कथा बहुत अच्छी कही है। दिल से मुबारक देता हूँ।

Comment by Samar kabeer on July 11, 2018 at 11:29am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 10, 2018 at 6:11pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।बहुत शायराना अंदाज़ में लिखी गयी है लघुकथा। रोम रोम पुलकित हो गया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
8 minutes ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
34 minutes ago
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
37 minutes ago
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
41 minutes ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
54 minutes ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
58 minutes ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय  गिरिराज भाई जी आपकी ग़ज़ल का ये शेर मुझे खास पसंद आया बधाई  तुम रहे कुछ ठीक, कुछ…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी मैं आपकी ग़ज़ल के कई शेर समझ नहीं पा रहा हूँ.. ये समंदर ठीक है, खारा सही ताल नदिया…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अजय जी "
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service