For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बारूद का असर( लघुकथा)

कलम को चुप-चाप और उदास बैठे देख बारूद ने पूछा," क्या बात है बहन?"
"कुछ नहीँ! तुम फिर आ गए? चले क्यों नहीं जाते... कह तो दिया तुमसे अब मैं तुम्हे स्वीकार नहीं करूंगी।" गुस्से से कलम बड़बड़ाई।
" मेरे बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं हैं, समझीं ! तुम्हें मेरा स्वीकार करना ही होगा।" अट्टहास लेते हुए बारूद ने अपनी अहमियत जतायी।
" नहीं कभी नहीँ ! तुम बदल गए हो अब वो बात नहीं रही, याद करो एक समय वो था जब बिस्मिल की कलम से तुमने यह लिखवाया था : सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में हैं। तुम्हारी बारूद से निकले धुंवे ने भारतभूमि नभ् भी गुंजायमान हो गया था।
तुम्हारे भीतर देशप्रेम के जज्बे ने ' तिलक ' को 'केसरी' अख़बार निकलवाने के लिए मजबूर किया था और सुभाष के मुख से ' तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हे आज़ादी दिलवाऊंगा' जैसे नारों से जनमानस में जागृति पैदा की थी और हर गलियारे से आज़ादी की गूँज होती थी। जाने कितने और साहित्यकारों को तुमने अपनी ताकत दी थी। पर अब....." यह कहते ही कलम ने अपना मुँह फेर लिया।
बारूद का अट्हास और बढ़ गया, उसने हँसते हुए कहा," तुम मुर्ख हो तुम ये क्यों भूल रही हो उस दौरान हम गुलाम थे। पर आज हम आज़ाद है और हमारे संविधान ने हमें पूरी आज़ादी दी है हम जो चाहे लिखें।"
"तो क्या बलात्कार, भ्रष्टाचार, खून खराबा ...! "कलम ने अपना विरोध दर्ज़ करवाया।
बारूद कुछ कहता उसके पहले उसने कलम के मालिक को कमरे में प्रवेश होते देख लिया सो उसने कहा,
"अब तुम अपनी भाषण बाज़ी बन्द करो,वो देखो अपना मालिक आ रहा है...न्यूज़ लिखनी होगी उसको आज भी, चलो तैयार हो जाओ...। और वह कलम में समां गया।
कलम अब उसके मालिक के हाथ में थी।

कल्पना भट्ट
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 10:57am

बड़े ही सार्थक विषय का चुनाव किया है लघुकथा में...सादर

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:04pm

आदरणीय कल्पना भट्ट जी, नमस्कार । अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।     

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 6:41pm

मुह तरमा कल्पना साहिबा  , अच्छी लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

Comment by Samar kabeer on June 19, 2018 at 6:15pm

बहना कल्पना भट्ट जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है,लेकिन अभी और समय चाहिए,कथानक भी कमज़ोर है,  संवाद में भी कसावट नहीं है,पंच लाइन भी कमज़ोर है, बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 7:03am

आदरणीया कल्पना जी , नमस्कार !

बहुत ही सुन्दर लघुकथा ... हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service