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तुम्हारे स्पर्श से....

मैं संग चल दी उनके,
मेरा मन यहीं रह गया...
उन्होंने दिखाये होंगे हजारों ख्वाब,
पर इन आँखों में रौशनी कहाँ थी !!

कितने ही गीत सुनाये होंगे उन्होंने,
पर इन कानों के पट तो बंद हो चुके थे !!

उनके सबालों का,
जबाब भी ना दे पायी थी मैं....
क्योंकी इन होठों पे, तुम्हारा ही नाम रखा था!!

कितना आक्रोश था उनके ह्रदय में,
जब उन्होंने,
मेरे केशों को पकड़कर खींचा था...

और मैं पत्थर सी हो गयी थी,
किसी भी आघात की पीड़ा ना हुई मुझे!!

ऐसी बेजान चीज को-
कौन...रखता अपने पास?

वो मुझे वहीं छोड़ गये,
जहाँ से उठा ले गये थे...

इन आँखों में अब रौशनी आ गयी है,
कानों के पट भी खुल चुके हैं....
जीवित हो गयीं हूँ मैं,
तुम्हारे स्पर्श स्पर्श से !!
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 10:42pm

आदरणीय तस्दीक़ जी नमस्कार

,रचना पर आपकी शिर्कत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 7:02pm

मुह तरमा रक्षीता साहिबा, अच्छी रचना हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 2:26pm

आदरणीय विजय जी नमस्कार,

रचना पसंद  के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।।

Comment by vijay nikore on June 19, 2018 at 9:01am

आपकी कविता अच्छी लगी।हार्दिक बधाई।

Comment by रक्षिता सिंह on June 17, 2018 at 11:09pm

आदरणीय कबीर जी नमस्कार, आपकी शिर्कत के लिए बेहद शुक्रिया...., आपको कविता पसंद  आयी ...लिखना सार्थक हुआ।

आपके द्वारा बताई त्रुटि को मैं शीघ्र ही सुधारने का प्रयास करूँगी, कृपया इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें बहुत बहुत  धन्यवाद !!

Comment by Samar kabeer on June 17, 2018 at 12:11pm

मोहतरमा रक्षिता सिंह जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सातवीं पंक्ति में 'सबालों' को "सवालों" कर लें ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 16, 2018 at 9:49pm

आदरणीय नरेन्द्र जी एवं आदरणीया नीलम जी नमस्कार, आपकी उपस्थिति व रचना की सराहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ....

Comment by Neelam Upadhyaya on June 16, 2018 at 6:27pm

आदरणीय रक्षिता सिंह जी, नमस्कार। सुन्दर रचना की प्रस्तुति के ली बढ़ायी स्वीकार करें। 

Comment by narendrasinh chauhan on June 16, 2018 at 9:02am
खुब सुन्दर रचना...
Comment by रक्षिता सिंह on June 15, 2018 at 10:04pm

आदरणीय मोहित जी नमस्कार,

रचना पर आपकी उपस्थिति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

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