For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरी जिंदगी(लघु कथा)

कुछ लोग दार जी के पास चुपचाप बैठे,अफ़सोस जता रहे थे। छोटी बहू हर आने वाले को चाय पानी प्रदान कर रही थी। इस मोहल्ले में दार जी ही पुराने रहने वाले हैं,बाकी लोग यहाँ दंगों के बाद आ कर अस्थाई तौर से रह रहे हैं। मगर मानवता के रिश्ते से अब ये लोग यहाँ आ कर बैठे हैं।
"बाऊ जी अब कैसा महसूस कर रहे हो" राम प्रकाश ने पास बैठते हुए कहा।
“किस के बारे”, दार जी ने कहा।
"कल जो डाक्टर साहिब ने बताया कि ब्लड प्रेशर की तकलीफ है आप को”।
भाई राम, भला ये भी कोई तकलीफ होती है, इस उम्र तक तो हम ने़ ऐसी कई………… ।
दार जी, कुछ देर के लिए चुप हो गए और जमीन की तरफ देखने लगे।
फिर बोले में तो नहीं मानता के ये भी कोई तकलीफ है।
डाक्टर कहता है तो उसे ये तकलीफ लगती होगी।
“डाक्टर क्या जाने अकेलेपन में रहने की तकलीफ क्या होती है?", ये कहते हुए दार जी इक बार फिर चुप हो गए।
"दार जी कहते हैं, इस दुनिया से हर किसी ने तो जाना है, आज भाभी नहीं, कल को हम भी नहीं होंगे " , राम प्रकाश ने कहा।
"ऐसा ही तो दुनिया का दस्तूर है,सदियों से ऐसा ही होता रहा है", साथ बैठे जगत ने कहा ।
"आहो भाई, जाना होता है। मगर आदमी कोई चीज़ थोड़़ी है, जो फिर मिल जाएगी, इस के साथ कितने रिशते जुड़े होते हैं, जिंदगी का साथ ही तो जिंदगी होती है, साथी के जाने बाद अकेलेपन में कैसे गुजरेगी कोई मामूली बात थोड़ी है।"
"क्या बताऊं, कह ?", दार जी टिकटिकी लगा आस पास बैठे लोगों की तरफ देखने लगा।

मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मोहन बेगोवाल on June 6, 2018 at 5:00pm
अधूरापन
दो दिन पहले सरदारनी स्वर्ग सिधार गई, लोग घर में आ जा रहे थे। कुछ लोग दार जी के पास चुपचाप बैठे,अफ़सोस जता रहे थे। छोटी बहू हर आने वाले को चाय पानी प्रदान कर रही थी। इस मोहल्ले में दार जी ही पुराने रहने वाले हैं,बाकी लोग यहाँ दंगों के बाद आ कर अस्थाई तौर से रह रहे हैं। मगर मानवता के रिश्ते से अब ये लोग यहाँ आ कर बैठे हैं।
"बाऊ जी अब कैसा महसूस कर रहे हो" राम प्रकाश ने पास बैठते हुए कहा।
“किस के बारे”, दार जी ने कहा।
"कल जो डाक्टर साहिब ने बताया कि ब्लड प्रेशर की तकलीफ है आप को”।
भाई राम, भला ये भी कोई तकलीफ होती है, इस उम्र तक तो हम ने़ ऐसी कई………… ।
दार जी, कुछ देर के लिए चुप हो गए और जमीन की तरफ देखने लगे।
फिर बोले में तो नहीं मानता के ये भी कोई तकलीफ है।
डाक्टर कहता है तो उसे ये तकलीफ लगती होगी।
“डाक्टर क्या जाने अकेलेपन में रहने की तकलीफ क्या होती है?", ये कहते हुए दार जी इक बार फिर चुप हो गए।
"दार जी कहते हैं, इस दुनिया से हर किसी ने तो जाना है, आज भाभी नहीं, कल को हम भी नहीं होंगे " , राम प्रकाश ने कहा।
"ऐसा ही तो दुनिया का दस्तूर है,सदियों से ऐसा ही होता रहा है", साथ बैठे जगत ने कहा ।
"आहो भाई, जाना होता है। मगर आदमी कोई चीज़ थोड़़ी है, जो फिर मिल जाएगी, इस के साथ कितने रिशते जुड़े होते हैं, जिंदगी का साथ ही तो जिंदगी होती है, साथी के जाने बाद अकेलेपन में कैसे गुजरेगी कोई मामूली बात थोड़ी है।"
"क्या बताऊं, कह ?", दार जी टिकटिकी लगा आस पास बैठे लोगों की तरफ देखने लगा।
Comment by Mahendra Kumar on June 6, 2018 at 10:22am

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, इस संवेदनशील लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक सुझाव है कि यदि आप इसमें इस बात को उभार सकें कि किसके जाने से दार जी की ज़िन्दगी अधूरी हो गयी और वह अकेलापन महसूस करने लगे तो यह और बेहतर लघुकथा हो जाएगी. सादर.

Comment by Mohan Begowal on June 3, 2018 at 4:03pm

आदरणीय आरिफ़ जी,आप जी की तरफ की गई तनकीद के लिए, बहुत शुक्रिया।

Comment by Mohammed Arif on June 3, 2018 at 1:54pm

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आदाब,

                                    (1)  ज़िंदगी में पाकर खोने या टूटने-बिखरने की पृष्ठभूमि की औसत दर्जे की लघुकथा ।

                                     (2) पात्रानुकूल संवाद ।

                                      (3) कमज़ोर विराम चिन्हों का प्रयोग या सही विराम चिन्हों का प्रयोग ।

                                       (4) कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ

                                         (5) जीवन दर्शन का आईना दिखाती लघुकथा ।

                                          (6) थोड़ा कमज़ोर शिल्प ।

                                                                हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service