For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -जलने लगे जो ख्व़ाब सब नैन धुआँ धुआँ रहे

अरकान: नामालूम 
लय: दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त ... या ...आप को भूल जाएं हम इतने तो बेवाफ़ा नहीं ...की तरह 
.
 
जलने लगे जो ख्व़ाब सब नैन धुआँ धुआँ रहे
दिल से तेरे निकल के हम जानें कहाँ कहाँ रहे.
.
रब से दुआ है ये मेरी दिल की सदा है आख़िरी
लब पे उसी का नाम हो जिस्म में गर ये जाँ रहे.   
.
लगते हों आलिशान हम कहने को क़ामयाब हों
खो के तुझे तेरी कसम अस्ल में रायगाँ रहे.
.
तेरी तलब में जाने जाँ ख़ाक हुए वगर्ना हम  
तुझ से मिले थे उस से क़ब्ल कितनों के आसमाँ रहे.      
.
तन्हा तुम्हारे दर्द को रहने नहीं दिया कभी   
दर्द जहाँ जहाँ रहा हम भी वहाँ वहाँ रहे.
.
दैर-ओ-हरम के दौर में कौन दिलों को पूजता
घर थे सभी अँधेरे में रौशनी में मकाँ रहे.         
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 961

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 10:48am

धन्यवाद आ रोहित जी

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 10:47am

आ समर सर,

आप से चर्चा के बाद ही इस बहर पर लिखने की प्रेरणा हुई।

इस पर पहली बार हाथ आज़माया है और अब अभ्यास के लिए एक और कोशिश जारी है।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 10:45am

शुक्रिया आ बसंत कुमार जी

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on March 26, 2018 at 10:24am

जलने लगे जो ख्व़ाब सब नैन धुआँ धुआँ रहे 
दिल से तेरे निकल के हम जानें कहाँ कहाँ रहे.

वाह वाह् ...बहुत खूब

मल्हार

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 9:08pm

इस बह्र में मफ़ाइलुन/मफ़ाइलान, की गुंजाईश भी है ।

वैसे मैं जनाब अजय साहिब की तरह माहिर-ए-अरूज़ नहीं हूँ,यही सबब है कि आपको पहले ग़लत अरकान बता दिये थे ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 8:06pm

वाह शानदार अशआर निकले हैं, आदरणीय बहुत बहुत बधाई आपको 

तन्हा तुम्हारे दर्द को रहने नहीं दिया कभी   
दर्द जहाँ जहाँ रहा हम भी वहाँ वहाँ रहे. लाजबाब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2018 at 7:32pm

धन्यवाद आ. सोमेश कुमार जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2018 at 7:32pm

धन्यवाद आ. समर सर..
आप से चर्चा के बाद से ही यह   बहर दिमाग़ को कुरेद रही थी ...
आप को पसंद आई तो कहना सफल रहा 
सादर 

Comment by somesh kumar on March 25, 2018 at 3:31pm

तन्हा तुम्हारे दर्द को रहने नहीं दिया कभी   
दर्द जहाँ जहाँ रहा हम भी वहाँ वहाँ रहे. 

अच्छी गजल है ऊपर वाला शे र खास पसंद आया |

रचना पर बधाई |

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 2:44pm

जनाब निलेश 'नूर' साहिब आदाब,बहुत उम्दा और शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है, आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service