For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब कहाँ वो मर्द साहिब (ग़ज़ल 'राज' )

2122  2122  2122  2122

इन बहारों में भी गुल ये हो गये हैं ज़र्द साहिब 
चढ़ गई वहशत कि इनपर क्यूँ अभी से गर्द साहिब 


जब जहाँ चाहा किसी ने सूँघ कर फिर फेंक डाला 
पूछने वाला न कोई नातवाँ का दर्द साहिब

जो रफू कर  दें किसी औरत के आँचल को नज़र से 
अब कहाँ हैं ऐसी नजरें अब कहाँ वो मर्द साहिब

हो गये पत्थर के जैसे  फ़र्क क्या पड़ता इन्हें कुछ 
हो झुलसता दिन या कोई शब ठिठुरती सर्द साहिब 

क्या बचा है मर्म इसमें  क्या करोगे इसको पढ़कर 
हर्फ़ भी धुँधले हैं जिसके ये वही है फ़र्द साहिब

रहने दो झूटी तसल्ली रहने दो झूटा दिखावा 
कितने देखे जिंदगी ने आपसे हमदर्द साहिब
----मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 814

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 8, 2018 at 8:54pm

आदरणीय श्याम नारायण जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by Shyam Narain Verma on March 4, 2018 at 7:20pm
बहूत ही लाजवाब, हार्दिक बधाई l सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2018 at 1:24pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2018 at 1:24pm

आद० मोहम्मद आरिफ़ साहब , आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरा लिखना सार्थक हो गया. 



सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2018 at 1:23pm

मोहतरम जनाब तस्दीक जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरा लिखना सार्थक हो गया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2018 at 7:59pm

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on March 2, 2018 at 10:48pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                            मुश्क़िल क़वाफ़ी में बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल । मुझे पूरी ग़ज़ल बहुत पसंद है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 2, 2018 at 7:43pm

मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा , मुश्किल काफियों से सजी उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2018 at 6:10pm

आद० तेजवीर सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2018 at 6:09pm

आद० राम अवध जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, जी बेहतर की संभावना तो हर जगह होती है, मगर मेरे कहने का आशय यह नहीं था।…"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर अभिवादन आदरणीय। मेरा मानना है कि अमित जी को इस संदर्भ में स्वयं अपना पक्ष रखना चाहिए और अपनी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"अय हय, हय हय, हय हय... क्या ही सुंदर, भावमय रचना प्रस्तुत की है आपने, आदरणीय अशोक भाईजी. मनहरण…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं अपने प्रस्तुत पोस्ट को लेकर बहुत संयत नहीं हो पा रहा था. कारण, उक्त आयोजन के दौरान हुए कुल…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. 16,15 =31…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
15 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service