For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -दिल को’ जिसने बेकरारी दी वही अहबाब था-कालीपद 'प्रसाद'

काफिया :आब ; रदीफ़ ;था

बह्र :२१२२  २१२२  २१२२  २१२

दिल को’ जिसने बेकरारी दी वही ऐराब था

जिंदगी के वो अँधेरी रात में शबताब था |

मेरे जानम प्यार का ईशान था, महताब था

चिडचिडा मैं किन्तु उसमे तो धरा का ताब था |

स्वाभिमानी मान कर खुद को, गँवाया प्यार को

सच यही, मैं प्यार में उनके सदा बेताब था |

आग को मैं था लगाता, बात छोटी या बड़ी

आग को ठंडा किया करता, निराला आब था |

शब कटी बेदारी’ में, बीते नहीं दिन चैन से

आँख में जो अश्क था दिल का वही सैलाब था |

याद है तुमसे मिला मैं, आज तक भूला नहीं  

इल्तफाते नाज़ की सौगात वो नायाब था |

लंका’ से ओखी उठी, फिर केरला गुजरात तक

शीत मौसम में उठी आँधी बनी गिर्दाब था |

जिंदगी की नाव, मौजों में रही वो काँपती  

डूबना था नाव को, पानी जहाँ पायाब था |

रोज उनकी मुझसे’ आखें चार का था सिलसिला

मेरे’ घर की खिड़की’ उनके सामने का बाब था |

जन्म से इंसान सब, इंसानियत ही धर्म है

मज्हबीयत मानना ‘काली’ खुदा इज्राब था |

___________________________

 शब्दार्थ : ऐराब =जो बचाने केलिए सामने खडा हो जाय 

शबताब=अँधेरे में चमकने वाले ,जैसे चाँद ,तारे

ताब= सहनशीलता, बेदारी’=जागरण

इल्तफाते नाज़ =अदा से कनखियों से देखना,

गिर्दाब=पानी का भँवर, बाब = दरवाज़ा

इज्राब = अवज्ञा करना, आदेश न मानना  

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1005

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Afroz 'sahr' on December 14, 2017 at 4:23pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी लफ़्ज़ "सैराब" का अर्थ होता है,,, "तृप्त", जिसकी प्यास बाक़ी न रही हो,
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 13, 2017 at 10:56am

आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी , ब्लॉग पर आने केलिए सादर आभार 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 13, 2017 at 10:55am

आ समर कबीर साहिब आदाब , 'सैराब' शब्द का अर्थ मुझे नहीं पता | शब्दकोष में भी यह शब्द नहीं मिला | कोई दुसरा उपयुक्त  शब्द हों तो बतायें |सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on December 13, 2017 at 4:10am

आद0 कालीपद प्रसाद मंडल जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का उम्दा प्रयास आपका।  आद0 आली जनाब समर सर की बातों पर गौर फ़रमायें। मेरी शैर दर शेर बधाई आपको।

Comment by Samar kabeer on December 12, 2017 at 11:05pm

'बेताब' इसलिये नहीं ले सकते कि सानी में "शबताब" क़ाफ़िया है, हाँ एक विकल्प है "सैराब",देखियेग ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 12, 2017 at 8:08pm

आ समर कबीर साहब आदाब , ऐराब का अर्थ उर्दू शब्दकोष के अनुसार वह पैदल सेना जो राजा को बचाने के लिए सामने खडा हो जाय , रक्षक | मैं " लिख  रहा था बेताब ' किन्तु बेताब  एक और शेर में आ चुका था  | क्या 'बेताब ' ठीक रहेगा ? आदाब 

Comment by Samar kabeer on December 10, 2017 at 4:55pm

मतले के ऊला मिसरे में 'ऐराब' क़ाफ़िया ग़लत है,इसका अर्थ भी आपने ग़लत लिखा है 'ऐराब' का अर्थ है , ज़ेर, ज़बर,पेश की अलामतें जो अरबी शब्दों के साथ लगाई जाती हैं ।

एक शब्द है 'अ'अराब' जिसका अर्थ है ,अरब के सहरा नशीं गंवार,और सानी मिसरे में 'ज़िन्दगी के' नहीं "ज़िन्दगी की",ज़िन्दगी शब्द स्त्रीलिंग है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 10, 2017 at 2:11pm

हार्दिक बधाई।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 9, 2017 at 8:58am

आ समर कबीर साहिब आदाब , विन्दुवत खामियों की ओर इशारा करने और सुझाव देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया | इनको सुधार  कर दोबारा प्रस्तुत करता हूँ | सादर 

Comment by Samar kabeer on December 8, 2017 at 5:11pm

जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के ऊला मिसरे में 'क़ाफ़िया रदीफ़ के साथ सही नहीं है,क्योंकि "अहबाब"बहुवचन है, और इसका एक वचन है "हबीब"आपने इस शब्द का अर्थ ग़लत लिखा है ।

5वें शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'चश्म में' इसे "आँख में" कर सकते हैं ।

छटे शैर के सानी मिसरे में ' तोहफ़ा'शब्द ग़लत है,सही शब्द है "तुहफ़ा"22 ।

आख़री शैर के सानी मिसरे में 'मज़हब' का बहुवचन "मज़ाहिब" है,'मज़हबों' नहीं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

"मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२*****पसरने न दो इस खड़ी बेबसी कोसहज मार देगी हँसी जिन्दगी को।।*नया दौर जिसमें नया ही…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service