For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,चराग़ ए सुख़न हूँ,,,,,,,

अर्कान,,,122/122/122/122

मुहब्बत में होना फ़ना चाहता हूँ
अजब में दिवाना हूँ क्या चाहता हूँ।

चराग़ ए सुख़न हूँ जला चाहता हूँ
ग़ज़ल में नया फ़लसफ़ा चाहता हूँ।

रहा कब हूँ झूटी अना का में काइल
ख़ुदाया तिरी बस रज़ा चाहता हूँ।

सुख़नवर बहुत हैं अनोखे जहाँ में
में अंदाज़ अपना जुदा चाहता हूँ।

जुनूँ ने ख़िरद से ये क्या कह दिया है
तिरी हिकमतों का पता चाहता हूँ।

जहाँ भी रहे बस महकता रहे तू
फ़कत ये ख़ुदा से दुआ चाहता हूँ।

रहो ख़ुश्बुओं में गुलों की सहर तुम
कहाँ अब में ऐसी सज़ा चाहता हूँ।
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 20, 2017 at 6:51pm

आ. अफ़रोज़ जी, ग़ज़ल का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आ. समर सर ने आपकी ग़ज़ल की बहुत ही अच्छी समीक्षा की है. उनकी सलाह के अनुसार ग़ज़ल को संशोधित करेंगे तो यह एक शानदार ग़ज़ल होगी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Niraj Kumar on September 20, 2017 at 5:34pm

जनाब अफरोज साहब,

अच्छी ग़ज़ल हुई है. दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर

Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 5:57pm
आदरणीय बृजेश जी आपने ग़ज़ल को सराहा आपका बहुत आभारी हूँ ।सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2017 at 5:14pm
बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय अफ़रोज़ जी..
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 11:18am
जनाब तस्दीक़ साहब आपने ग़जल को सराहा बहुत शुक्रिया आपका । नवाज़िशें
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 11:16am
जनाब आरिफ़ साहब ग़ज़ल में आपकी शिरकत पर आपका मश्कूर हूँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2017 at 9:48am
जनाब अफ़रोज़ साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। मुहतरम समर साहिब के मश्वरे पर ध्यान जरूर दीजियेगा
Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:28am
आदरणीय अफरोज़ जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल । आली जनाब समर कबीर साहब की इस्लाह से सहमत हूँ । मुबारकबाद क़ुबूल करें
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 9:00am
आदरणीय समर साहब आदाब आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है !मैं दुरुस्त करता हूूँ !सादर,,,,,
Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 9:14pm
एक बात बताना भूल गया था 'ग़ज़ल'शब्द में इज़ाफ़त नहीं लगाई जाती,इसे 'ग़ज़ल सहर की'लिखना मुनासिब होगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service