For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नवगीत - सूरज सन्यास लिए फिरता

अँधियारे गद्दी पर बैठा,

सूरज सन्यास लिए फिरता

 

नैतिकता सच्चाई हमने,

टाँगी कोने में खूँटी पर.

लगा रहे हैं आग घरों में,

जाति धर्म के प्रेत घूमकर.

सत्ता की गलियों में जाकर,

खेल रही खो-खो अस्थिरता.

 

तृष्णाओं की नदी बह रही,

बाँध नहीं कोई बन पाया.

वैभव के सूरज के सँग सँग,

दूर हो रहा अपना साया.

 

रोज नए शिखरों को छू लें,

स्वप्न रहा आँखों में तिरता.

प्रेम और सद्भाव रूठकर,

चले गए हैं लम्बी छुट्टी.

साथ गुजारा जिसके बचपन,

उस मस्ती ने कर ली कुट्टी.

 

बिन पानी का बादल छत पर,

सुबह शाम बस रहता घिरता.

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2017 at 7:01am
बहुत ही शानदार नवगीत हुआ है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

मुखड़े की दूसरी लाइन में प्रवाह कुछ बाधित है। एक बार पुनः देखने का अनुरोध है। सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2017 at 6:30am
सुंदर नवगीत । हार्दिक बधाई , आ. भाई बसंत जी ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 31, 2017 at 7:05pm

आभार आदरणीय फूल सिंह जी आपका , सादर 

Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:04pm

बेहतरीन

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 31, 2017 at 12:00pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी, आपकी सदाशयता को साधुवाद, हो जाता है कभी कभी ऐसा, यूँ ही स्नेह बनाये रखें सादर.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 31, 2017 at 11:59am

अतिशय आभार आपका आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, इसी तरह स्नेह बनाये रखें सादर

 

Comment by नाथ सोनांचली on August 31, 2017 at 4:47am
माफी चाहूँगा, यह नवगीत है, लिखते समय चाहा तो था कुछ और पर लिख गया कुछ और। पुनश्च माफी मांगता हूं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2017 at 8:31pm

आदरनीय बसंत भाई , वर्तमान परिस्थितियों पर खूब सूरत नवगीत रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 30, 2017 at 6:33pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी आपका दिल से शुक्रिया , शायद गलती से आपने इसे गजल लिख दिया है, यह नवगीत है , सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 30, 2017 at 6:32pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपका दिल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service