For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा--कॉमेडियन

"माँ , आज तुमको बताना ही होगा ?" राजू बोला ।
"क्या ?" माँ बोली ।
"यही कि तुम मेरे आज तक के किसी भी एक्ट पर नहीं हँसी । मेरे एक्ट पर तुम्हें हँसी क्यों नहीं आती ? मेरे एक्ट से लोगों के पेट में बल पड़ जाते हैं । सारा शहर मुझे " राजू द ग्रेट
कॉमेडियन " कहता है ।"
" बेटा , जब हमारी भूख , गरीबी , अभाव , पीड़ा और तेरे पिता की कैंसर से मौत ने तुझे ग्रेट कॉमेडियन बना ही दिया है तो मुझे हँसने की क्या ज़रूरत है ।" राजू की आँखों से आँसू छलक पड़े ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:06pm

बेहतरीन रचना

Comment by Mohammed Arif on August 28, 2017 at 2:40pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 28, 2017 at 1:57pm
आद0 मोहम्मद आरिफ भाई कम शब्दों में बेहतरीन लघुकथा,वाह क्या कहने। दिल खोल कर बधाई लीजिये।
Comment by Mohammed Arif on August 28, 2017 at 8:21am
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी लघुकथा पर अपनी प्रतिक्रिया देने और मान बढ़ाने का बहुत-बहुत शुक्रिया।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 27, 2017 at 8:32pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब, सीख देती हुई सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Mohammed Arif on August 27, 2017 at 5:10pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब लघुकथा पर सटीक सारगर्भित टिप्पणी करने देने, हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by Samar kabeer on August 27, 2017 at 3:40pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कम शब्दों में बहुत उम्दा और सार्थक लघुकथा लिखी आपने,काश और लोग भी कम शब्दों में बड़ी बात कहने की तरफ़ तवज्जो करें ।
इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on August 26, 2017 at 10:49am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी लघुकथा के मर्म को समझने और निरपेक्ष टिप्पणी देने का बहुत-बहुत शुक्रिया । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 25, 2017 at 10:15pm

उम्दा कथा हुई है आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब , अपने बेटे को कॉमेडियन बन जाने की मजबूरी को माँ ही समझ सकती है | मार्मिक कथा हुई है ,अक्सर हंसी के पीछे से आंसूं दिखाई नहीं देते | हार्दिक बधाई आपको इस कथा के लिए |

Comment by Mohammed Arif on August 25, 2017 at 9:55pm
लघुकथा के मर्म को समझने और प्रतिक्रिया देकर मान बढ़ाने का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता कसार जी । मेरा नाम मोहम्मद आरिफ़ है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service