For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसी ये बदहाली है ,
हर इंसान सवाली है ।

सूखे-सूखे होंठ सभी ,
उस चहरे पे लाली है ।

कौन ग़मों से बच पाया ,
सबने पीड़ा पाली है ।

जब से कूच कर गई माँ ,
घर भी खाली-खाली है ।

सब समझे हैं सभ्य उसे ,
गुंडा और मवाली है ।

ख़ुशियाँ रूठी बैठी है ,
ग़ुर्बत में दीवाली है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 6, 2017 at 11:55am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की सराहना और सुझाव का शुक्रिया ।
Comment by vijay nikore on September 6, 2017 at 1:23am

//कौन ग़मों से बच पाया ,
सबने पीड़ा पाली है //

बहुत खूब ! अच्छी गज़ल कही है.... दिल से बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mahendra Kumar on September 5, 2017 at 3:48pm

आ. मोहम्मद आरिफ़ जी, आदाब. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है. दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. 

//उस चहरे पे लाली है ।// क्या इस मिसरे को यूँ किया जा सकता है : "पर चहरे पे लाली है।" देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Mohammed Arif on September 5, 2017 at 11:19am
जी, यह सर्वविदित है ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on September 5, 2017 at 10:55am

जी आरिफ साहब,,  कुछ दिन तो पंजाब, हरयाणा में इंटरनेट सुविधा बंद होने के कारण और फिर कुछ अन्नय  व्यस्तताओं के चलते मंच पर उपस्थित नहीं हो पाया 

Comment by Mohammed Arif on September 5, 2017 at 10:50am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गुरप्रीत जी । बहुत दिनों के बाद मंच पर आना हुआ ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on September 5, 2017 at 10:47am

उम्दा ग़ज़ल हुई है आदणीय मोहम्मद आरिफ जी,,, बधाई स्वीकार करें 

Comment by Mohammed Arif on September 4, 2017 at 8:23am
आदरणीय गजेंद्र जी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया, हौसला अफ़ज़ाई और सलाह का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Gajendra shrotriya on September 3, 2017 at 10:47pm
सभी अशआर अच्छे हुए हैं जनाब मो० आरिफ साहब। मुबारकबाद पेश करता हूँ।
//जब से कूच कर गई माँ//
इस मिसरे को और बेहतर किया जा सकता है। यहाँ कूच कर गई के स्थान पर रुख्सत,विदा या अन्य कोई प्रभावी शब्द लिया जा सकता है।
बहुत शुभकामनाएँ आपको।
Comment by Mohammed Arif on September 3, 2017 at 10:23pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । लेखन सार्थक हो गया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service