For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हौसला फिर कोई बड़ा रखिये

2122 1212 22

हौसला फिर कोई बड़ा रखिये ।
खुद के होने की इत्तला रखिये ।।

जिंदगी में सुकूँ ज़रूरी है ।
आसमां सर पे मत उठा रखिये ।।

बन्द मत कीजिये दरीचों को ।
इन हवाओं का सिलसिला रखिये ।।

हार जाएं न कोशिशें मेरी ।
मेरे खातिर भी कुछ दुआ रखिये ।।

खो न जाऊं कहीं जमाने में ।
हाल क्या है जरा पता रखिये ।।

दुश्मनी खूब कीजिये लेकिन ।
दिल से जुड़ने का रास्ता रखिये ।।

गर जमाने के साथ है चलना ।मुज़रिमों से भी वास्ता रखिये ।।

लोग मिलते यहां नकाबों में ।
कुछ हक़ीक़त यहां छुपा रखिये ।।

जिंदगी में सुकूँ ज़रूरी है ।
आसमां सर पे मत उठा रखिये ।।

है शुकूँ की अगर तलास बहुत ।
हुक्मरां से भी लस्तगा रखिये ।।

काम बिगड़े अगर बनाने हैं ।
तो खुशामद का पैतरा रखिये ।।

हो इजाज़त तो आप से कह दूं ।
पास अपने ये मशबरा रखिये ।।

बिक गया बाप पढाकर बेटा ।
काम के नाम घुनघुना रखिये ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 21, 2017 at 12:54pm
आ0 समर कबीर सर सादर नमन और आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 21, 2017 at 12:53pm
आ0 गुरुप्रीत सिंह साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 21, 2017 at 12:53pm
आ0 गिरिराज भंडारी सर सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 21, 2017 at 12:52pm
आ0 विजय निकोरे जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 21, 2017 at 12:51pm
आ0 नीरज कुमार जी सादर आभार
Comment by vijay nikore on July 21, 2017 at 11:10am

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Niraj Kumar on July 20, 2017 at 4:51pm

आदरणीय नवीन जी, सारी ग़ज़ल अच्छी है लेकिन मतला बहुत अच्छा लगा. दाद के साथ मुबारकबाद. दूसरा शेर ग़ज़ल में दो बार आ गया है देख लीजियेगा.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2017 at 11:47am

आ, नवीन भाई , अच्छी गज़ल कही है .. हार्दिक बधाइयाँ ।
शुकूँ को सुकूँ - और
मशबरा - को मशवरा  ... कर लीजियेगा

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 19, 2017 at 9:33pm
आदरणीय नवीन बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है..ज्यादातर अशआर दिल पर असर छोड़ रहे हैं..पहले दोनो शेर तो बहुत ही बाकमाल लगे
Comment by Samar kabeer on July 19, 2017 at 12:19pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
8 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
9 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
17 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
32 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"अद्भुत है आदरणीय नीलेश जी....और मतला ही मैंने कई बार पढ़ा। हरेक शेर बेमिसाल। आपका धन्यवाद इतनी…"
35 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"वाह-वाह आदरणीय भंडारी जी क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है। और रदीफ़ ने तो दीवाना कर दिया।हार्दिक…"
39 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"​अच्छे दोहे लगे आदरणीय धामी जी। "
41 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी जी बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई...."
43 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय भाई शिज्जु 'शकूर' जी इस खूबसूरत ग़ज़ल से रु-ब-रु करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत…"
46 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी तात्कालिक परिस्थितियों को लेकर एक बेहतरीन ग़ज़ल कही है।  उसके लिए बधाई…"
51 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आपकी ग़ज़लों पे क्या ही कहूँ आदरणीय नीलेश जी हम तो बस पढ़ते हैं और पढ़ते ही जाते हैं।किसी जलधारा का…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"अतिउत्तम....अतिउत्तम....जीवन सत्य की महिमा बखान करते हुए सुन्दर सरस् दोहों के लिए बधाई आदरणीय...."
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service