For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....जो दिल को घेर कर बैठी उदासी क्यों नहीं जाती

1222 1222 1222 1222
जो दिल को घेर कर बैठी उदासी क्यों नहीं जाती
नदारद नींद आँखों से उबासी क्यों नहीं जाती

चलीं जायेगीं बरसातें ये मौसम भी न ठहरेगा
हमारे दिल की बैचैनी जरा सी क्यों नहीं जाती

तुम्हारे साथ ही ये ज़िन्दगी तैयार जाने को
दिलों के दरमियाँ काबिज़ अना सी क्यों नहीं जाती

सुना है उसके दर पे सब मुरादें पूरी होतीं हैं
ये व्याकुल रूह जन्मों से है प्यासी क्यों नहीं जाती

ग़मों में मुस्कुराना सीख 'ब्रज' लोगों ने समझाया
बसी है जो ह्रदय में पीर खासी क्यों नहीं जाती
खासी-ज्यादा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 16, 2017 at 9:49pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कल्पना भट्ट जी..सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 4:30pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय बृजेश जी हार्दिक बधाई |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 12, 2017 at 8:47am
आदरणीय लक्षमण धामी जी सादर नमन
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 11, 2017 at 11:06pm
आदरणीय समर सर आपकी टिप्पड़ी सदैव ही कुछ नया सिखाती है..मतले को दुरुस्त करता हूँ..तीसरे शैर में जो अर्थ आपने बताया उसी रूप में इस्तेमाल किया है अर्थात दिलों के दरमियाँ जो अना जैसा कुछ है। मक्ते में काफ़िया दोष भी है दरअसल कुछ एक जगह शी और सी का एक साथ इस्तेमाल देखा है इसीलिए मैंने कर लिया..लेकिन आपने बात साफ की है तो सुधार की कशिश करता हूँ..सादर नमन स्वीकार करें..
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 11, 2017 at 10:57pm
एक अच्छी गजल के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by Samar kabeer on July 11, 2017 at 9:52pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

मतले के सानी मिसरे में 'नदारत'ग़लत है,सही शब्द है "नदारद",दुरुस्त कर लें ।

तीसरे शैर में 'अना सी' क़ाफ़िया सही नहीं है,'अना सी' यानी अना जैसी ।

मक़्ते में क़ाफ़िया दोष है 'तलाशी'जबकि क़ाफ़िया 'सी' का चल रहा है ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 11, 2017 at 3:38pm
आदरणीय शुक्ला जी सुन्दर शब्दों में सराहना हेतु आपका ह्र्दयतल से अभिनंदन..सादर
Comment by Ravi Shukla on July 11, 2017 at 2:33pm

आदरणीय ब्रजेश जी बहुत अच्‍छे अशआर कहे आपने दिल से बधाईया स्‍वीकार करें  मकता बहुत अच्‍छा लगा

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 11, 2017 at 11:05am
आदरणीय आरिफ जी रचना पटल पे आपका हार्दिक स्वागत है..सादर
Comment by Mohammed Arif on July 11, 2017 at 8:18am
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, लाजवाब ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service