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साहस

कविता ने 

चूमा

उसके 

दिल को 

मायनों में

एक आदमी में 

कभी नहीँ

था

इतना 

साहस

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:20pm

आदरनीय नरेन्द्र भाई , खूबसूरत कविता रची है ,,, हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on May 9, 2017 at 6:45pm
जनाब नरेंद्र सिंह चौहान साहिब आदाब,बहुत ख़ूब वाह, इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
उर्दू में 'मायनों'कोई शब्द ही नहीं है,इसे "मआनी"कर लें ।
Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 4:27pm

आदरणीय अप्रतिम भावों की अप्रतिम प्रस्तुति। ... हार्दिक बधाई सर। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 4:07pm

बहुत खूब 

Comment by Mohammed Arif on May 9, 2017 at 1:35pm
आदरणीय नरेंद्र सिंह जी आदाब, थोड़े में बहुत कुछ कह दिया आपने ।बधाई स्वीकार करें ।

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