For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-
पीने में आनंद है, मिथ्या है संसार।
पीने से बढ़ता सदा, आपस में है प्यार।।
आपस में है प्यार,भेद सारे मिट जाते।
टकराते जब जाम,स्वर्ग का सुख तब पाते।।
मदिरा के बिन यार,मजा क्या है जीने में।
जीवन है दिन चार, हर्ज फिर क्या पीने में।।
2-
किसने पाई आजतक, मद्यपान से शांति।
पीने वाला पालता, मन में फिर क्यों भ्रांति।।
मन में फिर क्यों भ्रांति'शांति देगी ये हाला।
खोकर अपना होश,बने फिर क्यों मतवाला।।
हुआ नशे से मुक्त, विचारा मन में जिसने।
करके मदिरा पान, शांति पाई है किसने।।

3.

रोजाना की ही तरह, लेकर पहुँचा चाय।
उनके तेवर सख्त थे, बोलीं वो भन्नाय।।
बोलीं कुछ भन्नाय, देर क्यों इतनी लागी।
मैं तो पूरे तीस, मिनट पहले की जागी।।
बर्तन भी हैं ढेर, बनाओगे कब खाना।
बोलीं आँख तरेर, देर करते रोजाना।।

.
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hariom Shrivastava on April 20, 2017 at 7:56pm
आदरणीय नीलेश जी,
आपकी उपस्थिति से रचना को मान मिला। बोलीं कुछ भन्नाय में 'कुछ' की जगह 'वो' करने का आपका सुझाव स्वागत योग्य है। धन्यवाद। पहले छंद में आपने कहा कि स्पष्ट नहीं कि "क्या पीने में"। इस संबंध में छंद में आगे 'जाम टकराने' व 'मदिरा पीने में' का जिक्र आया है। अतः स्पष्ट है कि पीने का अर्थ "मदिरा पीने से है"। सादर। इसी तरह मार्गदर्शन देते रहें। सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 4:59pm

आ, हरिओम जी .... 
अच्छे छन्द हुए हैं ..   बधाई ..
.
बोलीं कुछ भन्नाय, देर क्यों इतनी लागी।...... जब आप को पता है कि क्या बोली तो कुछ का प्रयोग ठीक नहीं है .... कुछ अस्पष्टता के लिये ठीक है ....बोली वो भन्नाय ..
.
पहले छन्द में भी ..

पीने में आनंद है, मिथ्या है संसार।
पीने से बढ़ता सदा, आपस में है प्यार।।..... क्या पीने में ?? मदिरा में आनंद है ..... मदिरा से बढ़ता सदा ,,,,,
मैं इस विषय  का ज्ञाता    नहीं हूँ ,,,, भाषा के हिसाब से कुछ लगा   तो कह दिया ..
.

Comment by Hariom Shrivastava on April 20, 2017 at 3:41pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी,आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on April 20, 2017 at 8:48am
आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन, आपकी बेहद उम्दा भावपूर्ण कुंडलियाँ के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by Hariom Shrivastava on April 19, 2017 at 11:45pm
आदरणीय समर समर कबीर जी, आदरणीय अशोक रक्ताले जी,व आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, मेरी प्रथम प्रस्तुति पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 19, 2017 at 11:35pm

कुण्डलिया छंद में संयत सुगढ़  रचनाएँ हुई हैं .. सादर धन्यवाद आदरणीय 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 19, 2017 at 8:45pm

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, मदिरापान से लेकर चाय तक तीनों ही कुण्डलिया छंद अच्छे रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by Samar kabeer on April 19, 2017 at 7:58pm
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत बढ़िया कुण्डलिया छन्द लिखे आपने। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service