For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी आँखों ने
दीवाना बना दिया मुझको
में क्या था और
ये क्या बना दिया मुझको
क्या पता है हाल-ए-खबर तुझे
जो दे गयी है बेचैनी मुझे
क्यों समझते नही ख़ामोशी मेरी
क्या पता नहीं तुम्हें कहानी मेरी
कहते हैं सब ये शराफत है तेरी
पर कैसे बताऊँ तू ही तो मंज़िल है मेरी
सुनो ना जिसे सब लोग जिंदगी कहते हैं
तुम बिन उसे मैं अब क्या कहूँ
ये इश्क क्या है मालूम नहीं
पर इक दर्द सा सीने में है
दीवाना हूँ सादगी का तेरी
सुन ले आरजू इस दिल की मेरी
सुन ले आरजू इस दिल की मेरी.....

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 18, 2017 at 6:17pm
जनाब रोहित जी आदाब,अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।
कृपया रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें,यही मंच का नियम है ।
Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 12:14pm

Nilesh ji# धन्यवाद आपके मार्गदर्शन के लिए

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 12:13pm

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2017 at 11:52am

स्वागत है ..
मंच पर विभिन्न विधाओं को   सीखने के लिये भरपूर सामग्री उपलब्ध है... ग़ज़ल   की कक्षा के आलेख पढ़ें और लाभान्वित हों...
सादर 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 18, 2017 at 10:49am

#Mohammed arif# sahab जी शुक्रिया ....आप सभी महानुभवों का मार्गदर्शन प्राप्त हो यही आशा है।

अभी मुट्ठी भर ज़मीं नापी है हमने, यहाँ तो सारा आसमां बाकी है.

Comment by Mohammed Arif on April 18, 2017 at 9:38am
प्रिय रोहित "मल्हार"जी आदाब, प्रेम के रंग में सराबोर इस रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई । अभी आप उभर रहे हैं । कोशिश करते रहे और गुणीजनों का मार्ग दर्शन भी लेते रहे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service